जो देश की सेवा करते हैं, उनकी सेवा हम कैसे कर सकते हैं? 

जो देश की सेवा करते हैं, उनकी सेवा हम कैसे कर सकते हैं?
सर्वप्रथम हमारे देश के उन जॉबाज़ सैनिकों को शत्-शत् नमन हैं, जिन्होंने देश सेवा के लिए अपने प्राणों का आहूति दे दी। देश की सेवा भारतीय इतिहास का गौरव रहा है। यहाँ हर युग में अनगिनत वीर योद्धाओं का जन्म हुआ है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। हमारा देश त्याग और बलिदानियों की गौरवान्वित कर्म भूमि है जहाँ हर देश भक्तों की मिसाल दी जाती है। मातृभूमि के प्रति सर्वस्व अर्पण करने का भाव जब व्यक्ति के अंतर्मन में होता है, तभी वह सीमा की सुरक्षा के लिए प्रेरित होता है। देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत और देश सेवा के उद्देश्य से कठिन संघर्ष के साथ सेना में भर्ती होता है और अपनी सेवाएँ देने में जुट जाता है। लद्दाख की,बर्फीली पहङियों में फसीं लेखिका की जिन्दगीं और फौंज़ियों का सहयोग इस ब्लॉग का प्रेरणास्त्रोत है।
ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि ऐसे जॉबाज़ सिपाहियों के माँ-बाप, बहन, पत्नी, बच्चों के ख्याल रखने की ज़िम्मेदारी किसकी है? सवाल करना जितना आसान है, उतना ही कठिन इस सवाल का जवाब है। “एक पहल” ने इसके लिए प्रयास किया है, जिससे उन परिवारों को सहयोग मिल सके, जिनके बच्चे देश को सुरक्षित करने में जी-जान से जुट जाते हैं। जब घर का बेटा देश सेवा के लिए सर पर कफ़न बांध कर निकल पड़ता है तो उसके परिवार को बड़ी तकलीफों से गुजरना पड़ता है। वह अपने ऐशो आराम की ज़िंदगी के सपनों को तिलांजलि दे कर देश सेवा के हेतू कार्य करता है और हालात ऐसे हैं कि अधिकांश सैनिकों के पास पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है। किराये के मकानों में जीवन गुजारना पड़ता है, इधर उधर भटकने के अतिरिक्त इनके पास कोई चारा नहीं होता है। सामान्य स्थिति का जीवन और जवान बेटे के न होने से जो परेशानियों का सामना इन्हें करना पड़ता है, वह देश के लिए अत्यंत ही दुखद विषय है, परन्तु देश भक्ति का जज़्बा और जन्म मृत्यु के बीच हिलोरें खाता जीवन भी हिमालय के समान अचल और पूर्ण विश्वास के साथ सर ऊँचा उठाये खड़ा होता है, ऐसे में उनकी शहादत उनके परिवार पर ग़मों का पहाड़ बन जाती है, इन परिस्थितियों में मदद करना सिर्फ़ सरकार की ही नहीं, अपितु हम सभी की ज़िम्मेदारी है। दान दाताओं की सूची में देश के प्रत्येक नागरिक को शामिल होना चाहिए। फ़िल्म उद्योग जगत के कई नामचीन सितारें दरियादिली से शहीदों के परिवार को आर्थिक रूप से मदद करते हैं। इतिहास गवाह है कि प्रकृति ने जब जब बाढ़, भूकंप, आग जैसी तबाही मचाई है, तब तब यही सेना अपनी जान पर खेलकर सैंकड़ों जीवन की रक्षा करती है।
देश की सेवा के लिए सैनिकों के साथ साथ पत्रकार भी जान को जोखिम में डाल कर देशवासियों तक खबरें पहुँचाते हैं, सीमा पर हुई घटनाओं को अपने कैमरे में कैद करते हैं और अपने दायित्व को भूमिका बखूबी निभाते हुए कभी-कभी उनकी जान तक चली जाती है। सीमा पर नियुक्त सैनिकों के समान ही ये पत्रकार भी सुरक्षा कर्मियों की तरह देश भक्त होते हैं। ऐसे पत्रकार नमन के योग्य हैं लेकिन इस पर न ही लोगों का ही ध्यान आकर्षित हुआ है और न ही देश के द्वारा सम्मानित किया जाता है। बड़ी त्रासदी है हमारे देश में, जहाँ आर्थिक अभाव के साथ- साथ सम्मान का भी अभाव रहा है।ऐसा कदम उठाया जाये जिससे इनको विशेष रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए और ऐसे परिवारों के सदस्यों के लिए विशेष रूप से रोज़गार उपलब्ध कराये जाने चाहिए। उन्हें फ़ैशन डिज़ाइनिंग, कंप्यूटर कोर्स, लघु उद्योग, सिलाई, कढ़ाई जैसे कामों के लिए बढ़ावा देना उनके जीवन को सक्षम बनाने की ओर बेहतरीन कदम साबित हो सकता है। इनके आसपास रहने वाले लोग इनके कल्याण के लिए पूरी तरह से मदद करने की कोशिश करने से इनका अकेलापन भी दूर हो जायेगा साथ ही बड़े त्योहारों में इनके परिवार के साथ हर्षोल्लास से मनाना चाहिए। निश्चित तौर पर आपकी उपस्थिति उनके अंदर आशा के दीप प्रज्जवलित करती है और नयी ऊर्जा उत्पन्न करती है, यही वजह है कि कई सेलिब्रिटी और नेता छावनी में भी जाकर देश सेवकों के साथ समय बिताते हैं क्योंकि ये भी अकेले और उधर उनका परिवार भी अकेला होता है।
इसी श्रृंखला में एक और वर्ग है जो निरंतर देश की सेवा करता आया है, जिनके बारे में जितनी तारीफ़ की जाये उतनी कम है, वो हैं देश को सेवाएं प्रदान करने वाले डॉक्टर्स, जो ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक पहाडों से लेकर सीमा क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा से देश को अमूल्य सेवाएँ प्रदान करते हैं। 24-घंटे तत्पर रह कर वे देश एवं देशवासियों का इलाज़ करते हैं। यहाँ तक कि जल, थल और वायु पर तैनात सेना के सभी सिपाहियों के स्वास्थ्य की देखभाल और रक्षा के लिए यह लोग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, इसीलिए सैन्य डॉक्टर्स की आर्मी मेडिकल कोर से आवेदन पर रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से 70 साल की कर दी गई है।सेवा भाव के लक्ष्य को समर्पित इनका जीवन इतना महान है कि कई डॉक्टर्स सैनिकों के परिजनों की निःशुल्क सेवा भी करते हैं।अपने घर से दूर रह कर युद्ध के दौरान बेहतरीन मेडिकल सेवाएँ देने वाले ये डॉक्टर्स देश के लिए सम्मानीय है क्योंकि जवानों और अफसरों के उपचार करने और उन्हें बचाने में इनकी भरपूर सहयोग होता है।कठिन तापमान, संघर्षमय जीवन और अपने कष्टों को भूलकर लगातार मरीजों की सेवा में संलग्न होते हैं ये चिकित्सक।इनके उत्साहवर्धन के लिए उचित पारिश्रमिक, भत्ते और मूलभूत सुविधाओं का अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए। दुनियाँ के बेहतरीन चिकित्सक हमारे भारत देश में मौजूद है परंतु चंद मुट्ठी भर भ्रष्ट और लोभी चिकित्सकों की वजह से और एकता के अभाव ने आज भी इन्हें विशिष्ट पद पर शामिल होने से वंचित कर रखा है। आचरण की शुद्धता, निष्ठा और ईमानदारी से अगर चिकित्सकों द्वारा दायित्व निभाया जाए तो भारत के प्रत्येक डॉक्टर का राष्ट्रीय सम्मान और उनकी छवि को ईश्वर तुल्य ही समझा जायेगा।
“मुझे क्या” और “मेरा क्या” जैसी सोच से बाहर निकल कर देश सेवा के भाव से प्रत्येक नागरिक और सरकार दोनों को मिलकर देश के सैनिक, पत्रकार और डॉक्टर के परिवारों के लिए छोटे-मोटे कार्य करके मानसिक रूप से प्रसन्नता का सहयोगी बनना होगा। अपनी सामर्थ्य अनुसार उनकी मदद करके देश की उन्नति और तरक्की में हम भागीदार बन सकते हैं। सच्ची देश सेवा का रूप ऐसा ही होता है।
हमारे देश की सेवा करने वाले अपने सम्पूर्ण जीवन को दाँव लगाने वाले सिर्फ़ यही ख्वाहिश रखते हैं कि सारे देशवासी खुश रहे, सुरक्षित रहे, आपस में भाईचारा बना रहे, सौहार्दपूर्ण एवं शांतिप्रिय माहौल हो, वो जिस उद्देश्य से देश की सेवा में लगे हैं,वो पूरा हो, आपसे कुछ गलत तो नहीं चाह रहे हैं, तो फ़िर सोचो बदले में हम उन्हें क्या दे पाये हैं? उनके त्याग को संतुष्टि एवं मनोबल की दृढ़ता के लिए हमें देश में अच्छा, मृदुल व्यवहार और सुख शांति का वातावरण लाना चाहिए। देश के लिए बलिदान और जान न्यौछावर करने वालों को तभी सुखद अनुभूति होगी अन्यथा अकारण ही इनकी देश सेवा सिर्फ़ नौकरी बन कर ही रह जायेगी।
लेखिका अमृतसर के वाघा बॉर्डर, पर कई सैनिकों से हुई मुलाकात का ज़िक्र करते हुए बताती हैं कि जो लोग मौत के सामने सीना ताने खड़े होते हैं वो ज़िंदादिल लोग अपने कठिन पलों से भी खुशियां बटोरकर देशवासियों को खुश करने की निरंतर कोशिश करते हैं, सदैव प्रयासरत होते हैं, इससे अधिक प्रेरणादायक कुछ हो ही नहीं सकता।
‘एक पहल’ का आपके समक्ष इस विषय को प्रस्तुत करने का मकसद सिर्फ़ इतना ही है कि जिस तरह सूर्य की रोशनी और ऊर्जा के बग़ैर हमारा जीवन पूर्ण नहीं, चंद्रमा की शीतलता के बिना हमारा जीवन संभव नहीं, उसी प्रकार हमारे इन देशसेवियों के बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है। इनका नहीं तो इनके परिवार का ही सही, कुछ तो करना होगा। जो देश के लिए काम करते हैं, ‘एक पहल’ की टीम उनके लिए काम करती है।
मैं सैनिक हूँ,
मैं डॉक्टर हूँ,
मैं नेता हूँ,
मैं पत्रकार हूँ,
देश की सेवा के लिए
मैं भरोसेदार हूँ,
कंधों पर भार लिये खड़ा,
एक ईमानदार हूँ,
सुरक्षा, विकास और तरक्की का,
मैं भागीदार हूँ,
सम्मानीय जीवन के प्रति,
मैं तलबगार हूँ,
नये भारत,नये विश्वास का
मैं सृजनकार हूँ।
जय हिन्द।

1 Comment

  1. जो देश की सेवा करते है उनकी सेवा हम कैसे कर सकते है
    पहल की अगली कड़ी सीमा पर रक्षा कर रहे उन वीर सैनिको को समर्पित जो हर परिस्तिथि में तैनात रहकर देश की सुरक्षा में अपना कर्तव्य निभा रहे है।
    सर्व प्रथम में उन शहीदों को नमन करता हु जिन्होंने देश की रक्षा करते हुऐ अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया।
    पहल लेखिखा ने बाघा बॉर्डर पर सैनिको से चर्चा की ओर चर्चा में जो बातें सामने आई तथा जो देश की सेवा कर रहे है हम उनकी सेवा अथवा उनके परिवार की सेवा कैसे कर सकते है इसका निराकरण बखुबी विभिन्न उधाहरण देते हुवे लेखिखा ने जनसाधारण का ध्यान इसकी ओर आकर्षित किया।बहुत बहुत धन्यवाद।
    सीमा पर चाहे जवान हो,डॉक्टर हो,ड्राइवर हो,खानसामा हो या कोई और पद पर हो हर व्यक्ति हमारे लिये देश की रक्षा करने वाले सैनिक है। हमारे मन मे हर किसी के प्रति सम्मान की भावना तथा उनके प्रति आदर होना चाहिये।

    देखकर दर्द और किसी का,
    जो आह दिल से निकल जाती है;
    बस इतनी सी बात तो,
    आदमी को इन्सान बना जाती है!
    जय हिंद 🇮🇳 जय भारत
    जय श्री कृष्ण 🙏

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