चाँद पर हो अपना घर

चाँद पर हो अपना घर
सपना सलोना बड़ा सुंदर
श्वेत चाँदनी जन्नत सी
शीतल पुरवाई पहर-पहर

चाँद चमकीला उजास में
मन का सितार आस में
घूंट मधु का निशी मनभावन
नैनों से नैनों की रास में

कुछ लम्हें यहाँ कायनात के
बहुरे मोती गिरे बरसात के
स्निग्ध छटा जादूगरनी सी
झिलमिल झालर ख़्वाब के

ज़मी से चंद्रमा ही अब बेहतर
प्रदूषण वसुधा के आँचल पर
सासों का बोझ हुआ यहाँ भारी
आओ नई दुनियाँ बसाए चाँद पर।

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