दर्पण देख खूब संवर गया राधा के रूप से निखर गया आईने को खिलता देख कर कान्हा का मन यहीं ठहर गया गोरी का कर अद्भुत श्रृंगार वेणु भी अधरों पर लहर गया प्रेमी परिंदों को नहीं पता कब कैसे कौन सा पहर गया यौवन ने ली जब अंगड़ाई चाँद धरती पर यूँ उतर गया प्रेयसी प्रियतम धरे अभिसार बाँध हृदय का टूट बिखर गया चुरा लिए चकोरी की धड़कन ध्वजा इश्क़ का यहीं फहर गया।
2022-12-08