स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का दसवां दिन – कल्पा से कुफरी

हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का दसवां दिन – कल्पा से कुफरी
सुप्रभात दोस्तों,
आज की सुबह का रोमांच चरम सीमा पर था क्योंकि कल्पा के सुसाइड पॉइंट को देखने जाना था, तो आपको बताऊँ कि वहाँ हमने क्या देखा कि एकल रोड, एक ओर ऐसी गहरी खाई, देखो तो चक्कर आ जावे, दूसरी ओर सुरंग की तरह लटके हुए पहाड़, दरअसल शुरू में खास नहीं था।
पर जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, एक के पीछे एक गाड़ियां, एक एक इंच आगे जाने में घबराहट होने लगी, आगे गांव पाँच किलोमीटर दूर था, जहाँ माता का मंदिर था जहां तक जाना तो जैसे अति मुश्किल हो गया था,वजह बेहद संकरी सड़क और रैलिंग भी नहीं लगी हुई थी।
सारे लोग बड़ी मुश्किल से आधी दूर से ही यू टर्न लेकर लौट रहे थे,आगे जाना किसी के बस की नहीं हो रहा था, तब एक बात समझ आ गई थी कि इसे मौत का पॉइंट यानि सुसाइड पॉइंट क्यों कहा जा रहा है, पर दूसरी ओर यहाँ का ब्रेथ टेकिंग व्यू देख कर हम सभी में जीने की ऊर्जा का स्तर खूब ऊपर हो चुका था।
सुसाइड पॉइंट नाम न देकर लाइफ पॉइंट कहें तो ज्यादा बेहतर हो सकता था। बीपी की तरह कोई नापने की मशीन होती तो जरूर पता चल पाता कि सब में जीने की चाह कितनी बढ़ गई थी!क्योंकि मरने से डर नहीं लगता साहब, बहुत ज्यादा डर लगता है।
यहाँ से निकलते ही हमें एक से बढ़कर एक सेब के बाग दिखाई दिए। सेब इस सीजन में भरपूर निर्यात होती है,यहाँ की सेब स्वाद में अनूठी और बड़ी रसदार होती है, एक्सपोर्ट क्वालिटी की उपलब्ध होती है।
अब तक हर गाँव से हमें सेब खूब उपहार में मिली थी और सच तो यह है कि हम भी यहाँ की नंबर वन गुणवत्ता वाली सेब को खरीदने से अपने आपको रोक नहीं पाए, वैसे भी उपहार का मजा तो लेने और देने दोनों में होता है।
कल्पा को बाय-बाय करते हुए रेकोंग पिओ आ गए, यहां के सुप्रसिद्ध  मुस्कान ढाबा में मोमोज, सूप और भरपूर सब्जियों वाला थुकपा खाया, बेहद स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजन, जिसे खाकर जिह्वा को आनंद आ गया।
ये स्पिती वैली का विशिष्ट शाकाहारी व्यंजन है, जो हर क्षेत्र में उपलब्ध रहता है।थोड़े और ऊनी वस्त्रों को खरीद कर हम करीबन दो बजे कुफरी के लिए निकल पड़े, ये तय हो गया था कि हमें निकलने में काफी देर हो चुकी थी, इसलिए लेट होने का खामियाज़ा तो भुगतना पड़ेगा।
सात घंटे का यह सफर था, ट्रैफ़िक की वज़ह से रुकावट काफी मिली।
पहाड़ों पर छह बजे रात हो जाती है, पहाड़ी रास्तों पर अँधेरे में गाड़ी चलाना कठिन होता है, बड़ी सावधानी रखनी पड़ती है।
जैसे-तैसे रात नौ बजे तक हम कुफरी पहुँचे और मेन रोड पर स्थित भव्य होटल में चेक इन करके डिनर किया। अब यात्रा समापन की ओर हो चली थी, घर जाने के लिए हृदय उत्साहित हो गया था। हाँ पूरी यात्रा में कौन सी सावधानियों की आवश्यकता है  और क्या-क्या सामान अति आवश्यक रहता है, वो कल बताऊंगी मेरे अगले एवं अंतिम पोस्ट पर।

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