पन्द्रह अगस्त का दिन कहता है,
आज़ादी अभी अधूरी है,
इस सोच – समझ वाले शख्सियत की,
महायात्रा अब तो पूरी है।
तू पथिक है सत्य का,
तू युग पुरुष है हिन्दुत्व का,
नव – जीवन का आह्वान लिए,
प्रभु के निमंत्रण को स्वीकार किए,
साँसे जिनकी थम गई,
घड़ी रूठ कर निकल गई।
आहिस्ता-आहिस्ता दबे कदमों से
चल पड़े हो नयी मंज़िल की ओर,
आशा और विश्वास से परिपूर्ण ,
नयी ऊर्जा,उज्ज्वल भविष्य, नयी भोर।
भवसागर से जो तर हो गया,
मर कर भी जो अमर हो गया,
ऐसे वीर पुरुष को शत् शत् हमारा नमन है,
‘एक पहल’ के अंतर्मन से ‘बाजपेयी जी’ को भेंट श्रद्धा-सुमन है।
नाम है अटल बिहारी जन ने बनाया।
भीष्मपिता बन जिसने सारे दलोको अपनाया।।
मौत दो पल की जिंदगी को बड़ा जिसने बताया।
स्वाभिमान दल की परिभाषा उसने समझाया।।
बड़ी रौनक होगी प्रभु आज तेरे दरबार मे।
एक फरिश्ता पहुंचा जमी से आसमान में।।
है प्रभु शरण लेना
मेरा भारत रत्न मेरा जननायक आ रहा है।
मेरा विश्व रत्न मेरा गणनाथ आ रहा है।।
शत शत नमन🙏🏼अलबिदा युगपुरुष
शत् शत् नमन।