गुहार मोदी जी से

गुहार - आदरणीय मोदी जी हिंदी को राष्ट्रभाषा देखने का स्वप्न पूरा करें। 

विषय - गांधी जी और उनका हिंदी अनुराग
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हिंदी भाषा के प्रति अनुराग सर्वविदित है। अँग्रेजी भाषा के महान ज्ञानी के बावजूद वो अपना भाषण हिंदी में ही देना पसंद करते थे। उनके अनुसार भाषा ऐसी बोली जानी चाहिए जो देश के करोड़ों ग़रीब देशवासी समझ पाये और इसीलिए उन्होंने अधिक से अधिक मंचों पर हिंदी भाषा में ही राष्ट्र का उद्बोधन किया और अपने मन की बात बयां की।एक भाषा नीति को समर्थन करते हुए हिन्द स्वराज में भाषा हिंदी हो इसका आह्वान भी किया, परन्तु राजनीति के क्षेत्र में समीकरण के अभाव में कई नेता अंग्रेजों की चाटुकारिता में लगे हुए थे और उनकी शायद इस कोशिश को निराधार ही बनाए रखा, फिर भी उनके पूर्व में रहे अथक प्रयासों से यह 14 सितंबर 1949 संविधान के अनुच्छेद (343) और 1950 के संविधान अनुच्छेद {343(1)} में हिंदी देवनागरी लिपि राजभाषा ही बन पाई, राष्ट्रभाषा के ख़्वाब अभी भी अधूरे है।
हिंदी भाषा को राष्ट्रीय एकता, स्वाभिमान एवं अखण्डता का परिचायक मानते हुए देश के स्वाधीनता संग्राम के क्रांतिकारियों को हिंदी सीखने और बोलने पर विशेष जोर दिया। अपने लेख और इंटरव्यू भी वे हिंदी में देते थे।गाँधी जी ने टैगोर, तिलक, नेहरू इत्यादि अनेक कॉग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं और भारतीयों लोगों को इस भाषा के मूल्यों को सर्वोपरि मानते हुए उन्हें सीखने को प्रेरित किया और भाषा के प्रति प्रेम, अनुराग का सदैव आह्वान किया,परन्तु आज़ादी के इतने सालों बाद भी यह राष्ट्र भाषा नहीं बन पाई है। आज भी देश की बागडोर राजनेताओं के हाथ में है और जब-जब हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए गाँधी जी जैसा हिंदी प्रेम भक्त आवाज़ उठाता है तो पूरा सदन या यूं कहें कि एक बड़ा समूह प्रतिकार करने लगता है, और फिर वही के वही रह जाते हिंदी के भक्त… ये देश की त्रासदी नहीं तो और क्या!!!
अब समय दूर नहीं है, ऐसा मैं समझती हूँ, भारत में लेखनी का स्तर बढ़ने लगा है,लोग जागरूक होने लगे हैं,भारत में राम जन्म भूमि का अधिकार मिला है और अब हिन्दुत्व प्रधान भारत देश में हिंदी राष्ट्रभाषा भी घोषित होगी और गांधी जी के देखे हुए सपने अवश्य साकार होंगे।

पुराना इतिहास मुगल काल में उर्दू को प्राथमिकता दी गई थी, फिर अंग्रेजों ने अँग्रेजी और उर्दू भाषा को ही सर्वोपरि रखा और हिंदी भाषा को पीछे रखा,लेकिन सोशल मीडिया के बाद ऑनलाइन सर्वे के अनुसार अब हिंदी तृतीय अंतराष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त कर चुकी है,
ऐसे में भारत में क्या हम हिंदी को राष्ट्रभाषा नहीं बना सकते हैं?

हिंदी एकता का बिछा तारों का जाल है, जिसका नेटवर्क ज़न ज़न के हृदय तक है।गाँधी जी के मन से शुरू होकर मोदी जी के मन की बात तक पहुँच गया है, दोनों गुजरात से है तो मुझे लगता है कि संयोजकता बनी हुई है,बहुत जल्दी हमें ये घोषणा पत्र मिलेगा कि गांधी जी के अधूरे ख़्वाब पूरे हुए, आज से हमारी राष्ट्रभाषा…… हिंदी
और देश का प्रत्येक साहित्यकार और हिन्दू भक्त लिखेगा…आपके इस कृत्य से हृदय से अभिभूत हैं हम
“सकारात्मक सोच ही नई सुंदर, सशक्त और सार्थक पहल की जननी होती है।” 
जय हिंद, हिंदी, हिंदुस्तान
हिंदी भाषा सबसे महान।

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