गाँधी और उनका प्रेम अहिंसा 

बापू का प्रेम अहिंसा त्याग
देश के प्रति अथाह अनुराग

आजादी के यज्ञ में दी आहुति 
सत्य भलाई निष्कर्मों की ज्योति 

ग्रामीण विकास हृदयी चेतना 
शिक्षा स्वच्छता आरोग्य प्रेरणा 

स्वच्छ भारत का उनका सपना 
मुकम्मल नहीं अब तक अपना 

स्वदेशी अपनाओ रोजगार बढ़ाओ 
कपास सूत को घर-घर पहुँचाओ 

विदेशी वस्तुओं का किया बहिष्कार 
खादी चरखा बनाया देशी हथियार 

मारे एक गाल पर दूसरा आगे रखो 
अहिंसा से स्वराज्य की इच्छा रखो 

धर्म जाति मन भेद भाव मिटाया 
अछूत हाथों प्रेम से भोजन खाया 

हिंदी भाषा का करते वो सम्मान 
प्रचार लेख भाषण हिंदी अभिमान 

शुद्ध शाकाहारी प्रिय भोजन 
संस्कृति संस्कार प्रीत उद्बोधन

गांधी जी के चार मूल सिद्धांत 
सत्य अहिंसा प्रेम और सद्भाव 

ईर्ष्या घृणा राग द्वेष अपशब्द 
नहीं किया इन भावों को पसंद 

गांधी का सपने में अब भी दूरी है 
महिलाओं की जगह क्यों अधूरी है 

निर्जल रख आजादी का उपवास 
देश भक्ति निभाया ग़ज़ब अंदाज़ 

जेल सत्याग्रह पैदल डांडी यात्रा 
मिली अहिंसा से हमको स्वतंत्रता 

शांति दूत गोली सीने में खाई 
ये गुत्थी आज भी सुलझ न पाई 

अंतिम समय मुख से हे राम 
पावन अंतर्मन जगत कल्याण 

अजर अमर देवतुल्य आत्मा 
आत्मीय एहसास जुड़े परमात्मा 

आज भी पूरा देश झुकाता है
बापू के चरणों शीश नवाता है

पूरा होगा राम राज्य का सपना
ख़त्म होगा भ्रष्टाचार अराजकता




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