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Ek Pehal https://www.ekpehalbymadhubhutra.com आओ हम सब मिलकर इस एक पहल को नयी सोच और नयी दिशा की ओर ले चले। Tue, 20 Dec 2022 10:57:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.4.1 चाँद पर हो अपना घर https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/ek_khwahish/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/ek_khwahish/#respond Tue, 20 Dec 2022 10:57:54 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1757 Continue Reading]]> चाँद पर हो अपना घर सपना सलोना बड़ा सुंदर श्वेत चाँदनी जन्नत सी शीतल पुरवाई पहर-पहर चाँद चमकीला उजास में मन का सितार आस में घूंट मधु का निशी मनभावन नैनों से नैनों की रास में कुछ लम्हें यहाँ कायनात के बहुरे मोती गिरे बरसात के स्निग्ध छटा जादूगरनी सी झिलमिल झालर ख़्वाब के ज़मी से चंद्रमा ही अब बेहतर प्रदूषण वसुधा के आँचल पर सासों का बोझ हुआ यहाँ भारी आओ नई दुनियाँ बसाए चाँद पर।
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राधे कृष्णा https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/radhekrishna/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/radhekrishna/#respond Thu, 08 Dec 2022 12:39:04 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1754 Continue Reading]]> दर्पण देख खूब संवर गया राधा के रूप से निखर गया  आईने को खिलता देख कर कान्हा का मन यहीं ठहर गया गोरी का कर अद्भुत श्रृंगार वेणु भी अधरों पर लहर गया प्रेमी परिंदों को नहीं पता कब कैसे कौन सा पहर गया यौवन ने ली जब अंगड़ाई चाँद धरती पर यूँ उतर गया प्रेयसी प्रियतम धरे अभिसार बाँध हृदय का टूट बिखर गया चुरा लिए चकोरी की धड़कन ध्वजा इश्क़ का यहीं फहर गया। ]]> https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/radhekrishna/feed/ 0 मील का पत्थर https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/meel_ka_patthar/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/meel_ka_patthar/#respond Thu, 08 Dec 2022 12:30:52 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1749 Continue Reading]]> बरसों से बैठा ये देख रहा मैं राहगीरों को बस आते-जाते अटल साक्षी हूँ इस पथ का बीते दिन यहाँ बीती हर रातें मौसम की कभी ढलती छाया धूल मिट्टी में सदा लिपटा रहा कल भी था वही मैं आज भी अपनी जगह पर सिमटा रहा मंज़िल का हूँ संकेत वाहक अडिग रहो यही संदेश देता मील का पत्थर मुझे कहते यात्री मुझसे उपदेश लेता नारंगी रंग सड़क गांव की हरा रंग स्टेट हाई-वे सफर पीली पट्टी राष्ट्रीय राजमार्ग काला नीला बताये है शहर अंखियाँ टिकी रहती मुझ पर कितनी दूर जाएगी ये सड़क सफर पर यह इक मनोरंजन हर रंगों की है अलग चमक। ]]> https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/meel_ka_patthar/feed/ 0 स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का ग्यारहवां अंतिम दिन – कुफरी से जयपुर https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kufri_jaipur/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kufri_jaipur/#respond Thu, 10 Nov 2022 09:39:46 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1719 Continue Reading]]> हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का ग्यारहवां अंतिम दिन – कुफरी से जयपुर
पंछी कितना ही आसमान में उड़ ले लेकिन शाम को वो अपने घोंसले में लौट आता है,माना गति ही जीवन है, पर ठहराव भी ज़िंदगी का अभिन्न अंग है, यात्रा भी कुछ ऐसा ही अनुभव देती है।
भारत की मिट्टी में स्वर्ग का बसेरा है। “स्पिती वैली नहीं देखा तो क्या देखा!” ये यात्रा के हर एक दिन बीतने के बाद अंतर्मन से आवाज़ निकल रही थी।
सफ़र दिल से किया जाए तो अलौकिक आंनद देता है।मेरी ज़िंदगी की अधिकांश खूबसूरत यादें सफर से ही जुड़ी हुई है,सफर तन और मन की घुटन को ही सिर्फ खत्म नहीं करता,  बल्कि हमारे भीतर स्वस्थ मानसिकता को तैयार करने में अपना भरपूर योगदान देता है।
ऐसी ही ये सफर था, जहां कई नए लोगों से मुलाकात हुई, मित्रता हुई और सबसे बड़े मित्र बने मेरे इस रोमांचकारी यात्रा के संस्मरण से जुड़े आप जैसे प्यारे पाठक, जिन्होंने  इस यात्रा को अद्भुत रोमांच से भर दिया, जिसके लिए मैं आप सभी की हृदय से आभारी हूँ।
क़लम मेरी थी स्याही का रंग आपका था, शब्द मेरे थे पर भाव आपके जुड़ रहे थे, गीत मेरा था, साज आप बजा रहे थे और इससे ज्यादा क्या कहूँ, ये ही ख़ासियत है हमारे और आपके आत्मिक रिश्तों की, सभी को मेरा हृदय से वंदन साधुवाद।
जैसा कि मैंने पिछले पोस्ट में कहा था पहाड़ों पर विशेषकर दुर्गम स्थानों पर जाने के पहले कुछ मह्त्वपूर्ण बातों को जहन में रख कर एवं कुछ विशिष्ट तैयारी कर के जाने से यात्रा सुगम हो जाती है।
इस सफर में रखें…
1. कपूर (ऑक्सीजन की कमी के चलते जरूरी है)
2.ऊनी वस्त्र
3.मेडिकल किट
4.छाता (पहाड़ी क्षेत्र में कभी भी बारिश हो जाती है)
5.लहसून का सेवन
6. जूते (बर्फ और ट्रेकिंग पर चलने लायक)
1. गाड़ी बिल्कुल परफेक्ट होनी चाहिए।
3.गाड़ी के दस्तावेज, लाइसेंस, आईडी प्रूफ साथ में रखें।
2.ड्राइवर वर्दी में होना चाहिए, अन्यथा जुर्माना भरना होगा।
3. देर रात की यात्रा से बचे।
4. Google के साथ स्थानीय लोगों से रास्ता पूछ लें, एक बार आगे जाने पर पहाड़ी स्थानों पर reverse लेना बड़ा मुश्किल होता है।
5. शाकाहारी लोग अपने खाने के सामान की व्यवस्था रखे।
6.पेट्रोल डीजल भरवाने का ध्यान रखें।
7.यात्रा के दौरान कम खाएं।
8.उल्टी से बचने के लिए सौंफ, लौंग, इलायची का सेवन करें।
9.गाड़ी चलाते समय मोबाइल का उपयोग न करें।
10. एक अच्छा कैमरा साथ में हो तो क्या बात है।
11.मौसम की जानकारी लेते रहें।
ये तो हुई ध्यान रखने योग्य बातें, अब एक विशेष बात हिमाचल प्रदेश में देश के हर राजनेता अभी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, क्योंकि हिमाचल में चुनाव आने वाले है
यहाँ आपसे यही कहूँगी कि आप चुने ऐसे राजनीतिक दल को जो हिमालय की गोद में स्थित देवभूमि हिमाचल के नैसर्गिक सौन्दर्य को बरकरार रखते हुए विकास, प्रगति और उत्थान कर सके और वहाँ की जनजाति को मूलभूत सुविधाएं प्रदान कर सके, जनता जनार्दन को ही यह निर्णय लेना है, पर सोच समझ कर लेना अति आवश्यक है।
“अच्छी सरकार
उन्नति अपार।”
बस यहाँ अब स्वयँ को विराम देती हूँ, अपने घर पहुँचने की ख़ुशी मुझमें समा नहीं रही है और मन दूसरी ओर फिर से एक नई यात्रा के सपने बुनने लगा है, मन का क्या है! इसका तो काम ही है आसमान में उड़ना, वो अपना काम कर रहा है, उसे करने देते हैं, ईश्वर को अपना काम करने देते हैं क्योंकि वो अभी भी हमारे लिए निश्चित कुछ अच्छा ही लिख रहा हैं।
सस्नेह शुभ वंदन! आत्मिक आभार!
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स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का दसवां दिन – कल्पा से कुफरी https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kalpa_kufri/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kalpa_kufri/#respond Wed, 09 Nov 2022 09:23:32 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1691 Continue Reading]]> हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का दसवां दिन – कल्पा से कुफरी
सुप्रभात दोस्तों,
आज की सुबह का रोमांच चरम सीमा पर था क्योंकि कल्पा के सुसाइड पॉइंट को देखने जाना था, तो आपको बताऊँ कि वहाँ हमने क्या देखा कि एकल रोड, एक ओर ऐसी गहरी खाई, देखो तो चक्कर आ जावे, दूसरी ओर सुरंग की तरह लटके हुए पहाड़, दरअसल शुरू में खास नहीं था।
पर जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, एक के पीछे एक गाड़ियां, एक एक इंच आगे जाने में घबराहट होने लगी, आगे गांव पाँच किलोमीटर दूर था, जहाँ माता का मंदिर था जहां तक जाना तो जैसे अति मुश्किल हो गया था,वजह बेहद संकरी सड़क और रैलिंग भी नहीं लगी हुई थी।
सारे लोग बड़ी मुश्किल से आधी दूर से ही यू टर्न लेकर लौट रहे थे,आगे जाना किसी के बस की नहीं हो रहा था, तब एक बात समझ आ गई थी कि इसे मौत का पॉइंट यानि सुसाइड पॉइंट क्यों कहा जा रहा है, पर दूसरी ओर यहाँ का ब्रेथ टेकिंग व्यू देख कर हम सभी में जीने की ऊर्जा का स्तर खूब ऊपर हो चुका था।
सुसाइड पॉइंट नाम न देकर लाइफ पॉइंट कहें तो ज्यादा बेहतर हो सकता था। बीपी की तरह कोई नापने की मशीन होती तो जरूर पता चल पाता कि सब में जीने की चाह कितनी बढ़ गई थी!क्योंकि मरने से डर नहीं लगता साहब, बहुत ज्यादा डर लगता है।
यहाँ से निकलते ही हमें एक से बढ़कर एक सेब के बाग दिखाई दिए। सेब इस सीजन में भरपूर निर्यात होती है,यहाँ की सेब स्वाद में अनूठी और बड़ी रसदार होती है, एक्सपोर्ट क्वालिटी की उपलब्ध होती है।
अब तक हर गाँव से हमें सेब खूब उपहार में मिली थी और सच तो यह है कि हम भी यहाँ की नंबर वन गुणवत्ता वाली सेब को खरीदने से अपने आपको रोक नहीं पाए, वैसे भी उपहार का मजा तो लेने और देने दोनों में होता है।
कल्पा को बाय-बाय करते हुए रेकोंग पिओ आ गए, यहां के सुप्रसिद्ध  मुस्कान ढाबा में मोमोज, सूप और भरपूर सब्जियों वाला थुकपा खाया, बेहद स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजन, जिसे खाकर जिह्वा को आनंद आ गया।
ये स्पिती वैली का विशिष्ट शाकाहारी व्यंजन है, जो हर क्षेत्र में उपलब्ध रहता है।थोड़े और ऊनी वस्त्रों को खरीद कर हम करीबन दो बजे कुफरी के लिए निकल पड़े, ये तय हो गया था कि हमें निकलने में काफी देर हो चुकी थी, इसलिए लेट होने का खामियाज़ा तो भुगतना पड़ेगा।
सात घंटे का यह सफर था, ट्रैफ़िक की वज़ह से रुकावट काफी मिली।
पहाड़ों पर छह बजे रात हो जाती है, पहाड़ी रास्तों पर अँधेरे में गाड़ी चलाना कठिन होता है, बड़ी सावधानी रखनी पड़ती है।
जैसे-तैसे रात नौ बजे तक हम कुफरी पहुँचे और मेन रोड पर स्थित भव्य होटल में चेक इन करके डिनर किया। अब यात्रा समापन की ओर हो चली थी, घर जाने के लिए हृदय उत्साहित हो गया था। हाँ पूरी यात्रा में कौन सी सावधानियों की आवश्यकता है  और क्या-क्या सामान अति आवश्यक रहता है, वो कल बताऊंगी मेरे अगले एवं अंतिम पोस्ट पर।
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स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का नवाँ दिन – कल्पा https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kalpa/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kalpa/#respond Tue, 08 Nov 2022 09:20:54 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1653 Continue Reading]]>
हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का नवाँ दिन – कल्पा
रोमांच तो इस यात्रा में भरपूर था,जाते-जाते मन में आई और नाको की झील के किनारे गए, 20 मिनट की बोटिंग की, ज़िंदगी के मजे उठाए क्योंकि सोच यही थी कि इस ओर अब आना होगा ना दोबारा तो क्यों नहीं जी ले और मज़े ले लेवें सारा, इस यात्रा का एकमात्र यही तो उद्देश्य था हमारा।
यहाँ से हम किन्नौर जिले के कल्पा गाँव के लिए चल दिये, जिसकी ख़ुबसूरती बेमिसाल है, कल्पा के पूर्व रेकोंग पिओ आता है,जो मुख्य बाजार है।
पोहारी झूला से दो रास्ते है, एक काजा के लिए, दूसरा रेकोंग पिओ के लिए, जो आगे कल्पा को जाता है,, काजा से आते समय ये कट ध्यान नहीं रहा और हम 15 किलोमीटर रामपुर की तरफ आ गए, फिर वापस लौटना पड़ा और सही रास्ते पर आगे बढ़े।एक विशेष बात काजा जाने के समय पेट्रोल, डीजल रेकोंग पिओ में फुल करवाना चाहिए, टायर्स की हवा चेक करवा लेनी चाहिए, क्योंकि उसके बाद काजा तक कोई पेट्रोल पंप नहीं मिलता है।
सड़कों पर रौनक खूब थी। पर्यटकों की बहार थी।
चौक में पुलिस खड़ी थी, यातायात को सुगम बनाने के लिए पूरी तरह तत्पर दिखाई दे रही थी।
यहाँ बस स्टेंड पर गोलगप्पे, टिकिया और चाट भंडार की दुकान थी, जिसका स्वाद बेहतरीन था। ऊनी वस्त्र काफी अच्छे मिलते हैं,जिसकी थोड़े बहुत खरीददारी करी।सूखे मेवे की क्वालिटी बहुत अच्छी है,जिसकी पूरे विश्व में वितरण होता है, साथ ही यहाँ के मटर बहुत स्वादिष्ट होते हैं, खरीदने के बाद हम कल्पा की ओर चल पड़े।
कुछ चीजें इतनी खुबसूरत होती है कि वो समेटी नहीं जा सकती, जैसे नदी, पहाड़, आकाश और ये किन्नोर जिले में बसा कल्पा।
हमारे लिए कल्पा के नए गगन में नया सूरज चमक रहा था, घाटियों में लहलहाता हर एक देवदार वृक्ष दमक रहा था।मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर रहने वाले भगवान शिव सर्दियों में अपना कुछ समय बिताने के लिए यहाँ आते हैं।बर्फीले पहाड़ों के बीच छिपा धरती का स्वर्ग।
पहाड़ी क्षेत्र में बसे गाँव की बात ही कुछ न्यारी होती है। गूगल होटल पहुँचने का जो रास्ता बता रहा था, वो आगे जाकर किसी कारणवश बंद था, अब दूसरा रास्ता उसके बस में नहीं था, होटल वाले का फोन नहीं उठ रहा था, बड़ी देर तक पूछते-पूछते हम पहुँचे अपने होटल पर।
वहाँ हमारा स्वागत-सत्कार पीले दुपट्टे को पहना कर किया और वेलकम ड्रिंक दिया,जो हमारे थकान को दूर करने के लिए पर्याप्त था।
चौथे माले पर उन्होंने सबसे बेहतरीन कमरा देकर किन्नर कैलाश के दर्शन करवाये और कहा कि यहाँ से आपकी सूर्य अस्त होते हुए बहुत सुंदर दिखेगा, हम बहुत खुश हो गए।
आरामदायक दिन था, प्रकृति की आबो हवा में अद्भुत नशा था।
शोर, आपाधापी, भागदौड़ से हम बिल्कुल दूर थे।सुख, सुकून, शांति और स्थिरता की पराकाष्ठा थी।
सूर्य अस्त के बाद हम आसपास घूमने पैदल निकल पड़े, कुछ दुकानों में गए, बातें की, वहाँ के जीवन शैली के बारे में जानकारी हासिल की, फिर होटल आकर रात्रि का भोजन लिया।
उन्होंने होम थिएटर में कुछ खास वीडियो दिखाए, जो बर्फीली सर्दी के समय की यात्रा के थे और ट्रेकिंग करके कहाँ तक जाया जा सकता है,देख कर असम्भव लग रहा था,सोच के पंख फैलने लगे थे कि क्या हम भी ऐसी यात्रा कर सकते हैं, ये बात जरूर है कि हमारे और आपके सोचने से कुछ नहीं होता है, असंभव को सम्भव सिर्फ परमात्मा ही कर सकता है। कल सुबह हमें कल्पा के सुसाइड पॉइंट जाना था, वहाँ हमने क्या देखा, वो बताऊंगी आपको मेरे अगले पोस्ट में।
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स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का आठवाँ दिन – नाको https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/nako/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/nako/#respond Mon, 07 Nov 2022 07:35:21 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1625 Continue Reading]]>
हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का आठवाँ दिन – नाको
काजा के तीन दिन पलक झपकते ऐसे निकले कि पता ही नहीं चला,मन में नया जोश लेकर एवं ज़िंदगी का एक नया अनुभव लेकर यहाँ से चल दिये हम नाको गाँव की ओर।
उससे पहले बता दूँ कि बेदी जी ने हमारे निकलते समय स्वयँ ही कहा कि वो एक अच्छी कैलीग्राफी वाले से इस भावपूर्ण कविता को होटल की मुख्य दीवाल पर लिखवा कर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाएंगे, सुन कर सच में बहुत खुशी हुई। मेरी ही लिखी पंक्तियाँ मुझे याद आ गई, खुशियाँ बांटती गई और अमीर होती गयी।
नाको के लिए सफर पर निकले तो पाया कि सड़कों पर तेज गति से कार्य चल रहा था, रास्तों में कई जगहों पर व्यपवर्तन किया हुआ था, सड़कों पर काफी गड्ढे  हो रखे थे,अत्यधिक ट्रैफिक जाम के कारण वाहनों को चलने में काफी मुश्किल हो रही थी। बर्फ बारी शुरू होने के पहले ये कार्य करना अत्यंत जरूरी होता है।
नाको के पहले  गियू की ओर एक रास्ता कटता है, जो 10 किलोमीटर भीतर की ओर जाता है, पहाड़ी क्षेत्र में बसा यह विशिष्ट गाँव है।
जहां साढ़े पांच सौ साल पहले जो भिक्षु ध्यान में लीन हो गए थे , उनकी हड्डी का ढांचा आज भी वैसा का वैसा ही है, कहते हैं कि इस ममी के नाखून और बाल बढ़ते रहते हैं। उनके हम ने जीवंत अद्भुत दर्शन किए।उधर मोनेस्ट्री का जीर्णोद्धार हो रहा था।
यहाँ से तिब्बत बॉर्डर मात्र दस किलोमीटर दूर था। वहाँ से लौटते हुए हम ने अपने भारत देश के सैनिक के घर चाय नाश्ता किया, उनके साथ कुछ फोटो उतारी और परिवार वालों संग गुणवत्तापूर्ण समय बिताया।
काफी मना करने के बावजूद भी उन्होंने उपहार स्वरुप हमें अपने घर में लगे वृक्ष से तोड़ कर बहुत सारी मीठी सेब लाकर दिया।मुझे हमेशा से लगता है कि देश की रक्षा करने वालों के साथ हमारा कुछ गहरा ही नाता है, जहां पर भी मुलाकात हुई, उनसे बहुत प्रेम और सम्मान मिला।
यहाँ से नाको ज्यादा दूर नहीं था लगभग तीन बजे तक हम नाको गांव पहुंच गए, हिमाचल के किन्नोर डिस्ट्रिक्ट के पुह सब डिवीजन  का छोटा सा शीत मरूस्थलीय क्षेत्र, जो समुद्री सतह से 3660 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यहां मोनेस्ट्री और एक झील है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है।
प्राकृतिक सौंदर्य मन को शांति और सुकून प्रदान करने वाला है। होटल में कदम रखते ही ऐसा लगा कि बस छत पर कुर्सी लगा कर बैठ जाएं और देखते रहे इस खूबसूरती को, पलकों को एक पल भी बंद होना गंवारा नहीं था।
पास की छत पर पूजा हो रही थी, सिर्फ पुरुष दिखाई दे रहे थे।
कुछ लोग बंगाल से आए हुए थे, आपस में यात्रा का विवरण साँझा किया, रात को हम सबने बैठ कर असंख्य तारे देखें, जो प्रदूषण के कारण शहर में कभी नहीं दिखाई देते,शीत का प्रभाव बढ़ता जा रहा था, तारों को देखने का चाव भी बढ़ता जा रहा था, देखते देखते कब आँख लग गई, पता ही नहीं लगा।
भोर में सूरज उदय बहुत सुंदर हुआ, उस की किरणों ने हमारे भीतर भरपूर ऊर्जा भरी।
बंगाली परिवार के युवा पुत्र ने हमारी बड़ी सुंदर तस्वीर उतारी और कहा कि आप दोनों साथ में बहुत अच्छे लग रहे हो, छोटी-छोटी बातों से बड़ी-बड़ी खुशियाँ मिल जाती है और फिर हम नीचे आ गए।होटल के मैनेजर ने प्रेम से पत्तागोभी और सेब लाकर भेंट की, जो बहुत ही अच्छा लगा।
बस किन्नौर के कल्पा गाँव के लिए जा ही रहे थे कि मन में एक रोमांचक ख्याल आया कि जाते-जाते कुछ तो विशेष करते हैं, क्या किया ये बताऊँगी मेरे अगले पोस्ट में।
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स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का सातवां दिन – काजा डे 3 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/spiti_kaja3/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/spiti_kaja3/#respond Sun, 06 Nov 2022 11:37:56 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1604 Continue Reading]]>
हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का सातवां दिन – काजा डे 3
नमस्कार दोस्तों,
आज की सुबह शांत और निर्मल आनंद से भरी थी, क्योंकि काजा का ये तीसरा दिन था, सोचा थोड़ा जानकारी लेते हैं, होटल के मालिक के साथ और कई स्थानीय लोगों के संग हम बातचीत करने लगे, उनसे क्या बातें हुईं, उससे पहले बता दूँ कि हमने पिछली शाम बेहद स्वादिष्ट गरमा-गरम समोसे, जलेबी, रसगुल्ले और आलू पराठा, दही खाया, जो काजा में सिर्फ एक ही ढा़बे पर उपलब्ध होता है, खाकर मजा आ गया।
हाँ तो फिर गुनगुनी सी धूप में चाय की टेबल पर खूब चर्चा हुई, कुछ स्थानीय लोगों से भी बात की, कइयों का मानना है कि भारत सरकार जो यहाँ पर पक्के मकान बनाने की सब्सिडी दे रही है, वो मौसम के अनुसार उनके स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है,पर यहाँ की ट्राइबल जाति निवासियों को सारी सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है, जिससे भारत पड़ोसी मुल्कों से बॉर्डर पर सुरक्षित रह सके।
यहाँ के रहन – सहन, जीवन-शैली को व्यवसायीकरण में बदल दिया गया तो प्रकृति की मूलभूत नैसर्गिक सौंदर्य का नाश हो जाएगा और जानकारी दी कि यहाँ सिर्फ़ नवंबर तक ही होटल खुले रहते हैं, उसके बाद सिर्फ होम सराय ही उपलब्ध होते हैं, क्योंकि मार्च तक इतनी बर्फ बारी रहती है कि यहाँ रुकना सम्भव नहीं हो पाता है, नलों में भी पानी जम जाते हैं, पर्यटक भी कम हो जाते हैं।
ऐसी कई चर्चा के बाद उन्होंने कहा भगवान के गांव आप लालुंग चले जाए, बड़ा अच्छा लगेगा, 28 किलोमीटर दूर है,हमारा क्या! हम तो हरफ़नमौला होकर निकल पड़े, देखा रास्ते में स्पिती नदी के पास कुछ गाड़ियां खड़ी है, हम ने भी नदी की ओर गाड़ी उतार ली,
ओह हो! क्या मज़े आए,नदी में स्वच्छ जल बह रहा था,हमने पत्थरों से एक घर बनाया,
उन पर्यटकों के साथ थोड़ा नाश्ता किया, नदी किनारे फोटो उतारी और फिर आनंदपूर्वक लालूंग गांव की ओर चल पड़े।
पहाड़ों पर 28 किलोमीटर बहुत बड़ा सफर हो जाता है। यहाँ के पहाड़ों में ये मान्यता है कि अगर ये लाल हैं तो देवता नाराज हैं और पीले हैं तो खुश है, हमें तो पीले ही नजर आते रहे, शायद मन की परिभाषा के अनुसार हमें दिखाई दिए,पहाड़ों की बनावट बिल्कुल अलग तरह की थी, जिसे हमने जीवन में पहली बार देखा था।
मन ही मन देवताओं को प्रणाम किया। बहुत ही ऊंचाई पर बसा यह छोटा सा गाँव था ये, असीम शांति, सिर्फ चंद लोग ही नजर आए,37 घर,लगभग 170 लोग रहते हैं, यहाँ की मोनेस्ट्री बहुत सुंदर है,मंदिर में बुद्ध के मूर्तियाँ है, नया मंदिर भी अति भव्य है, ठंड में यहाँ माइनस 25 डिग्री हो जाता है, पर अक्तूबर के महीने में ख़ुशनुमा मौसम रहता है। पहाड़ों पर रंगबिरंगे कपड़े हवा में उड़ते हुए बड़े लुभाते है और हम सभी में ज़िंदगी जीने की तमन्ना भरते हैं,लालूंग इतनी ऊंचाई पर होकर भी दुनियाँ से जुड़ा हुआ है, यहाँ के लोग नेटवर्किग के जरिए जुड़े हुए हैं।
अब वापस हमें नीचे काजा घाटी के लिए उसी रास्ते से उतरना था, मन तो नहीं हो रहा था, पर फिर हम नीचे जब उतरे तो पिन वैली का बोर्ड दिखाई दिया और ताबो में हमें कहा था कि जरूर जाएं, बस फिर क्या था चल दिये पिन वैली। स्पिती नदी के सहारे-सहारे एकल रोड है जो वहाँ जाती है, बड़े मज़े आ रहे थे,ऐसा आनंद कि जैसे परिंदे को पर मिल गए हो, ऐसा दृश्य जो कल्पनाओं की दुनियाँ से परे था।
गाना गाते हुए, मस्ती के साथ वहाँ पहुँचे, बहुत ही संकीर्ण घाटी, जिसमें एक ओर बर्फ से ढ़के पहाड़, दूसरी ओर रेगिस्तान, तीसरी ओर काले चमकीले पहाड़ और भी न जाने अलग-अलग रंगों के पहाड़ों से ढ़की यह घाटी और स्पिती नदी का कल-कल बहना, जैसे हमें कह रही थी कि निकल काम, क्रोध, मद, लोभ के मायावी दलदल से और जीवन को खुबसूरत प्रकृति से जोड़ कर जी ले जरा। ऐसा भी एक पल था, जहाँ हम बिल्कुल खो गए, चूंकि पर्यटक हैं तो लौटना जरूरी है,खुशियों को सांसों में भर कर पुनः काजा के लिए रवाना हो गए और वहाँ से सीधे काजा की मोनेस्ट्री और स्तूपा देखा,पूजा चल रही थी, बड़े आराम से देखने के बाद I Love Spiti के बोर्ड पर फोटो खिंचावाई
वहाँ से बाजार में प्रवेश कर लिया, कुछ खरीददारी की, यहाँ की चिली गारलिक चटनी बड़ी प्रसिद्ध है,स्पिती का मोमेंटो भी लिया साथ में और भी कई छोटे-मोटे समान खरीद कर हम ने विश्व के सबसे ऊपर स्थित पेट्रोल पंप में डीज़ल भरवाया और होटल आ गए, क्योंकि कल यहाँ से नाको गाँव के लिए निकलना था।
तीन दिनों में भावों का गुलशन खिल गया था, होटल के भीतर हज़ारों पर्यटकों के संदेश  लिखे हुए थे, अधिकांश अंग्रेज़ी भाषा में, जो मेरे दिल को थोड़ा अखर भी रहा था, मुझे उन्हें हिन्दी मातृभाषा में उपहार देना था, कमरे में गई, एक सुंदर सी कविता लिखी, होटल के मालिक बेदी जी और उनकी ऑस्ट्रेलियन पत्नी को रात में उपहार स्वरूप जब दिया, वो दोनों हृदय से गद्-गद् हो गए, उनके सभी कर्मचारियों ने भी कविता की भूरि-भूरि प्रशंसा की
उन्होंने हमें उपहार स्वरुप वहाँ की बहुमूल्य एवं स्वादिष्ट खुरबानी भेंट की, हमारा रिश्ता तो नया था पर दिल से पुराना हो चुका था, कविता भेंट देने के बाद उन्होंने मुझे क्या कहा वो बताऊंगी आपको मेरे अगले पोस्ट में।
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स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का छठा दिन – काजा डे 2 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/spiti_kaja/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/spiti_kaja/#respond Sat, 05 Nov 2022 10:58:37 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1573 Continue Reading]]> हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का छठा दिन – काजा डे 2
अपने स्पिती के सफ़र की अनुभूति को शब्दों के मोती में पिरो कर आप सब के समक्ष रखने का प्रयास किया है,जो मैंने कल रात मन में तय किया था, वज़ह यही थी कि जो जाना चाहें, वो इसे पढ़ कर निश्चित ही इस गंतव्य पर जाने का मन बनाएंगे और जो लोग किसी भी आर्थिक, शारीरिक और मानसिक दुर्बलता के कारणवश न जा सके, वो इस संस्मरण को पढ़ कर अपने समृद्ध भारत के हिमालय पर स्थित हिमाचल प्रदेश के स्पिती अंचल की सुंदरता को दिल की गहराईयों से महसूस कर सकते हैं। यहाँ आपसे यही कहूँगी कि अगर आपको ये लेखनी, अनुभव, संस्मरण पसंद आ रहा है, तो आप अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दीजियेगा और इसे अधिक से अधिक लोगों तक शेयर कीजिएगा।
एक रात पहले ये समझ लिया था कि कल की तारीख में काजा के किस दर्शनीय स्थल पर जाना है, पता चला कि हिमालय पर्वत पर स्थित विश्व के सबसे ऊँचाई पर बसे जो तीन गांव है, वो देखने के लिए जाएंगे, करीबन समुद्री सतह से 14500 से 15000 हज़ार की ऊँचाई  पर बसे सबसे प्रथम हम लांग्जा गाँव पहुँचे।
नैसर्गिक सौंदर्य का यौवन अपने चरम सीमा पर था, बुद्ध भगवान का पहली बार ऐसा स्मारक देखा, जैसे साक्षात् हिमालय पर्वत पर की ओर मुख रख कर ब्रह्मयोग कर रहा है और  देख कर ऐसा महसूस होता है कि हम भी यहाँ पर ब्रह्म में लीन हो जाए, पावन सर्द हवा का तन को छूकर जाना हमारा रोम-रोम पुलकित हो रहा था।
ऐसा लगने लगा कि कि भोलेनाथ से मिलन हो गया , फिर गोम्पा को देख कर एक भव्य होटल में भी हमने छाया चित्र खिंचवाये।
वहाँ लेमन टी का स्वाद लिया, जो शायद ज़िंदगी का सबसे अनूठा स्वाद था।
यहाँ पूरे स्थल में सफेद चीते जरूर नज़र आते हैं,जैसा हमने सुना था, हालाँकि हमें नहीं देखने को मिले, पर वही पर बने एक मित्र ने फोटो दिखाए, बहुत सारी खुशियों की अद्भुत स्मृति मन में बसा कर आगे निकले कॉमिक गांव की ओर, राष्ट्रीय मार्ग 505 से ही जुड़े हुए इस गांव में जब पहुँचे तो
मोनेस्ट्री में बर्फ बिछी हुई थी, मोंक ने बताया कि दो रात पहले बर्फ बारी हुई थी और रास्ते बंद कर दिए गए थे, आज आप पहुँच गए, ये सौभाग्य की बात है, कठिन यात्राओं में दर्शनीय स्थल कई बार प्राकृतिक आपदा और विपदा के कारण बंद हो जाते हैं, हम ने धरा, प्रकृति, अंबर, सूरज और पहाड़ों को धन्यवाद दिया, कहते इन सभी में परमात्मा का निवास है और पहाड़ों में देवता विराजमान हैं, ऐसा यहाँ के स्थानीय लोग ऐसा कहते हैं, उसके बाद विश्व के सबसे ऊंचे रेस्त्रां में बैठ कर चाय और सैंडविच का लुत्फ उठाया।
घुमावदार रास्तों से होते हुए हम हिक्किम  गाँव की ओर निकल पड़े, गूगल का नेटवर्क भी कई जगह पर नहीं मिलता है, रास्ते कई-कई जगह पर बड़े खराब है, मोड़ बहुत खतरनाक है, इसलिए ध्यान से चलाना बहुत जरूरी है, सिर्फ स्वयँ के लिए ही नहीं सामने वाले वाहन के लिए भी और पाया कि सब में धैर्य और सहयोग की भावना है।
इतने दुर्भर और कठिन मार्ग पर भी मन में ठान लो तो हर रास्ता आसान हो जाता है और फिर पहुँचे ऐसी जगह पर जहां विश्व का सबसे ऊँचा पोस्ट ऑफिस बना हुआ है, देख कर आनंद आ गया
वहाँ पोस्ट कार्ड पर लिखने के लिए भीड़ लगी हुई थी।
सभी अपने प्रिय जनों को चिट्ठियां भेजने के लिए आतुर हो रहे थे।
हिक्किम की सुन्दरता लिए हुए उस पोस्ट कार्ड पर हमने भी अपने रिश्तेदारों को संदेश लिखा और साथ में हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को काव्य रचना लिख कर चिट्ठी के माध्यम से वही से समर्पित की,वहाँ के डाकिया जी भी मुझसे अति प्रसन्न हो गए कि मोदी जी को यहाँ के बारे में विशेष तौर पर अंकित कर किया जा रहा है एवं अद्भुत आभा की बात पहुंचायी जा रही है, आशा और उम्मीद में एक अलग ही ऊर्जा का सम्मिश्रण है, उन्होंने मुझे अच्छी से अच्छी क़लम देख कर दी।
नए ज़माने के तकनीकी बदलाव कंप्युटर, मोबाइल, इंटेरनेट के संग पुराने ज़माने की पद्धति के पोस्ट कार्ड, पोस्ट ऑफिस को जोड़ कर जीवन के कई मीठे अनुभवों को मन में लेकर वहाँ से निकले
यहाँ आपको महत्वपूर्ण बात बताना चाहूँगी, यहाँ से काजा जाने हेतु दो रास्ते जाते हैं, पहले तीन किलोमीटर कच्चे रास्ते से होकर राष्ट्रीय मार्ग से जुड़ जाना और फिर काजा की ओर लौट जाना और दूसरा रास्ता पूरा कच्चा है,जो 10 किलोमीटर का था और 5 किलोमीटर पक्का रास्ता बना हुआ था, , जिसमें जंगली जानवर खूब दिखाई देते हैं, नील गाय, लोमड़ी सफेद चीते आदि, दुर्गम पहाड़ी एकल रास्तों पर गाड़ी में बैठे रहना और चलाने वाले दोनों की जान पर खतरा बना रहता है, बड़ा रोमांच हुआ, ज़िंदगी का ऐसा रोमांच जो बिरलों को ही मिलता है।
पर एक बात विशेष ध्यान में रखते हुए कि “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी” सोच कर हम धीरे-धीरे उतरते गए, ऐसी जगहों पर मोबाइल बिल्कुल नहीं उठाना चाहिए क्योंकि “जान है तो जहान है” पूरे हिमाचल में एक खास बात पाई कि बड़े प्रेरणादायक शानदार स्लोगन लगे हुए हैं, जिसे पढ़ कर सभी का मनोबल बढ़ता है,भोलेनाथ को याद करते हुए हम मुख्य सड़क पर आ गए, शाम हो चली थी, काजा के मुख्य बाजार में प्रवेश लिया,यह इलाका मूलतः मांसाहारी भोजन का है और हम शाकाहारी है, उत्तर भारत राजस्थान से है, सोच ही रहे थे कि क्या खाए, तभी हमारी नजर पड़ी, जो पिछले कई दिनों से नहीं खाने को मिला, पढ़कर तो आपके मुँह में भी पानी भर आया होगा, चलिए क्या खाया, वो आपको बताऊँगी मेरे अगले पोस्ट में।
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स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा – पांचवां दिन – काजा https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kaja/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/kaja/#respond Fri, 04 Nov 2022 10:15:38 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1533 Continue Reading]]> हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का पांचवां दिन – काजा
ताबो की सुबह बड़ी हसीन थी, जल्द ही उठ कर तैयार हो गए और नाश्ता करके निकल पड़े अपनी नई मंज़िल की ओर, जिसका नाम था “काजा”।
हमारे मन में भरपूर उत्साह, जुनून व रोमांच भरा हुआ था, उससे पहले बता दूँ कि हमारे लिए होटल के स्टाफ बहुत सारी सेब उपहार स्वरुप लेकर आए और देकर ये कहा कि ये विशेष रूप से आपके लिए है, ये उस कल्प वृक्ष से है, जहां से फल स्वयँ ही गिरते हैं, उन्हें तोड़ा नहीं जाता है, सुन कर हमें बहुत प्रसन्नता हुई और ख़ुद के अच्छे कर्मो पर भरोसा और अधिक बढ़ गया, क्योंकि ये सत्य है कि अगर हम अच्छा कर्म करते हो तो लौट कर वही मिलता है और इसी के साथ बड़े प्रेम से एक दूसरे के लिए मंगलकामना करते हुए हम उस नगर के लिए निकल पड़े, जो हिमाचल के लाहौल और स्पिती जिला में स्पिती नदी पर स्थित है।
ये स्पिती घाटी में स्थित 11980 फीट ऊँचा है, ये काजा राष्ट्रीय राजमार्ग 505 से जुड़ा हुआ है, शिमला का रेल स्टेशन और कुल्लू मनाली का हवाई अड्डा ही सबसे करीब है, यहाँ तक आने के लिए सड़क का ही उपयोग करना होता है।
जीवन हो या मौसम हर पल बदलता है और अगले पल क्या होने वाला है, ये हमें क्या किसी को भी नहीं पता है।पहाड़ों की यात्रा का भी अनुभव कुछ ऐसा सा ही होता है।
किसी भी यात्रा की ये विशेषता होती है कि अगर हम जल्दी रवाना होते हैं तो सब कुछ समय सीमा व सोच के मुताबिक रूटीन चलती है और ऐसा ही हमारे आज के दिन की रूपरेखा तैयार हुई थी। काजा के लिए हाईवे बना हुआ है, पर बीच-बीच में सड़क बेहाल है और फिर करीबन बारह तेरह हज़ार फीट की ऊंचाई पर जाना आसान नहीं होता है।
भयावह भूरे काले अद्भुत बालू वाले पहाड़ों से बना शीत रेगिस्तान,ताबो और काजा के रास्ते पर धांनकर मोनस्ट्री, गोम्पा, लेक, जो 12774 फीट ऊंचाई पर स्थित है,इतना घुमावदार रास्ता है कि लेखनी भी नतमस्तक हो रही है, ऐसा लगता है कि बर्फीले पहाड़ नीचे रह गए हैं और हम उससे ऊपर हो गए हैं,बौद्ध धर्म की मान्यता और तिब्बत पैटर्न से बनी अति भव्य मोनेस्ट्री, जिसे देखकर बहुत अच्छा लगा।
एक तल पर सिर्फ बुद्ध की मूर्ति, एंट्री फीस भी देनी होती है और मेडिटेशन के लिए गुफा बनी हुई है, जहाँ पर असीम शांति और कोई आवाज़ नहीं और ऊपर तल पर लामा जो मंत्र पढ़ रहे थे, काली भूरी मिट्टी के पहाड़ पर बसी यह जगह अविस्मरणीय व अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य, जिसका विवरण देना सचमुच असंभव है, अनोखा अनुभव और सदा के लिए स्मृति मन में संजोए फिर उसी रास्ते से पुनः लौट कर नीचे घाटी में हम उतरे और काजा के लिए रवाना हो गए।
यहां से जाना जैसे हमारी आगे की यात्रा में जान भर गई थी। दलाई लामा जी की फोटो द्वारा उपस्थिति अत्यंत प्रभावित करती है।
काजा के जिस होटल में हमारी बुकिंग थी, माशाल्लाह ऐसे खुबसूरत अलग तरह के होटल का जीवन में पहली बार अनुभव हुआ था, सैंट बर्नियाड ब्रीड विशालकाय तन का कुत्ता या यूँ कहें वहाँ का सदस्य अजीज़म से मुलाकात हुई
इंसानों से भी अधिक समझदार और मिलनसार, मालिक के प्रति भक्ति मौजूद थी, फोटो खिंचवाने का शौकीन भी था, जो भी आ रहा था, उनके लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र था, अजीज़म के साथ-साथ और भी उसी के गैंग के कुत्ते होटल के भीतर बाहर मौजूद थे।
चलिए यहाँ से जल्दी ही चेक-इन करके लंच लेकर हम निकल पड़े चेचम ब्रिज, किब्बर और कीव मोनस्ट्री देखने के लिए, प्रकृति अपनी सुन्दरता की चरम सीमा पर दिखाई दे रही थी। बर्फीले पहाड़ों पर बादल गजब ढा़  रहे थे।
एशिया का सबसे ऊँचा चेचम ब्रिज,जो 15 साल पहले ही बनाया गया है, पहुँचने पर नीचे देखने के लिए भी साहस की जरूरत थी, आगे कुंजुम पास, जो 15000 फीट ऊँचाई पर स्थित है, यहाँ से लौटे तो लगा ज़िंदगी को फतह कर रहे हैं और फिर हम किब्बर गांव गए, ऐसे लगता है कि बादलों को पकड़ा जा सकता है।
बर्फीला रेगिस्तान और शिखरों पर चमचमाते हिम का ताज और कीव मोनेस्ट्री पहुँचते हुए शाम हो गई।
बौद्ध धर्म की मान्यताओं को नमन वंदन कर के बड़े आनंद से समय बिता कर हम अपने होटल आ गए, एक ही दिन में 12000 से 15000 हज़ार फीट का अनुभव लिया, जो हमारी ज़िंदगी के सफर में पहली बार हुआ था।
पूरे दिन की यात्रा रोमांचित कर रही थी और मन में कुछ ईश्वर के प्रति कृतज्ञता और सद्भाव भी उमड़ रहे थे कि ऐसे दुर्लभ सफर हर किसी के भाग्य में नहीं होते हैं और ये सिर्फ परमात्मा की कृपा से ही सफ़लतापूर्वक सम्पन्न होते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी सही कहते हैं कि भारत अपने आप में सम्पूर्ण है,यहाँ पर कमाल की प्रकृति है, जिसको देखने का संकल्प बनाएं तो पूरा जीवन कम होगा, रात का खाना खाने के बाद जब अपने कमरे में गई तभी मैंने तय कर लिया, क्या तय किया वो मेरे अगले पोस्ट पर।
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