Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/ekpehalb/public_html/wp-config.php:1) in /home/ekpehalb/public_html/wp-includes/feed-rss2.php on line 8
bharat ki rajniti in hindi – Ek Pehal https://www.ekpehalbymadhubhutra.com आओ हम सब मिलकर इस एक पहल को नयी सोच और नयी दिशा की ओर ले चले। Mon, 14 Sep 2020 11:22:32 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.4.1 आत्मिक भाषा हिंदी https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/man-ki-baat-hindi/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/man-ki-baat-hindi/#respond Mon, 14 Sep 2020 11:22:32 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1031 Continue Reading]]> भारत की राजभाषा हिंदी।
हम सबकी मातृभाषा हिंदी।
हिन्दुस्तान की पवित्र डोर हिंदी।
आत्मा की सुदृढ़ जोड़ हिंदी।
उन्नत शीश की बिंदी हिंदी।
प्रगति का प्रतिबिंब हिंदी।
संस्कृति की पहचान हिंदी।
संस्कारों का सम्मान हिंदी।
स्नेह प्रेम प्रीत सद्भाव हिंदी।
प्रधानमंत्री मन की बात हिंदी।
बोलचाल की भाषा हिंदी।
हर दिल की अभिलाषा हिंदी।
साक्षर से निराक्षर बोलते हिंदी।
रोज़गार के अवसर देती हिंदी।
कश्मीर से कन्याकुमारी हिंदी।
बंगाल से भूटान नेपाल हिंदी।
राजस्थान से अरुणाचल हिंदी।
सबल कीर्ति ध्वज स्वदेश हिंदी।
प्राचीन समृद्ध सरल हिंदी।
गद्य पद्य दोहा छंद निबंध हिंदी।
प्रेम रस का अभिनन्दन हिंदी।
राग सुर लय धुन अंतर्मन हिंदी।
भंवरों का मधुर गुंजन हिंदी।
प्रियतम का आलिंगन हिंदी।
कवि की सुन्दर कविता  हिंदी।
रिश्तों की सुमधुरता हिंदी।
नदियों का निर्मल बहना हिंदी।
पर्वतों का अचल रहना हिंदी।
सूरज का दमकना हिंदी।
चाँद का चमकना हिंदी।
ईश्वर की आराधना हिंदी।
ऋषि मुनियों की साधना हिंदी।
शिव का तीसरा नैन हिंदी।
माँ भारती का चैन हिंदी।
बावरे मन का राग हिंदी।
अविरल संगम प्रयाग हिंदी।
भारत काशी विश्वनाथ हिंदी।
नमन वंदन सब साथ हिंदी।
अक्षर दीप प्रज्ज्वलित हिंदी।
रोम रोम हर कण समर्पित हिंदी।
ज्ञान का अनवरत प्रवाह हिंद।
स्कूल में बच्चों को पढ़ाओ हिंदी।
विश्व में घर-घर पहुँचाओ हिंदी।
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाओ हिंदी।
हिंदी दिवस की सार्थकता हिंदी।
सरकार से मिले प्राथमिकता हिंदी।
]]>
https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/man-ki-baat-hindi/feed/ 0
राजनीति इतनी बेबस क्यों? https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/rajniti_itni_bebas_kyon/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/rajniti_itni_bebas_kyon/#comments Mon, 10 Dec 2018 12:43:34 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=179 Continue Reading]]>
राजनीति इतनी बेबस क्यों?
किसी ने क्या खूब कहा है –
“यहाँ हर शासक दुर्योधन है,
यहाँ न्याय न मिल पायेगा,
सुनो द्रौपदी शस्त्र उठा लो,
अब गोविंद न आयेगा।”
राजनीति का अर्थ है राज करने वालों की नीति यानि कि राजा की नीति। जब उद्देश्य सिर्फ राज करने का हो जाए तो यह अवश्य ही बेबस और लाचार ही बनेगी। राजनीतिज्ञों द्वारा ही इसे बेबस बनाया गया है, ऐसा हर आम नागरिक सोचता है, पर यह सच नहीं है, इसमें देश के सभी नागरिकों की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है, वरना यह इतनी बेबस और लाचार नहीं बनती!
“हवाओं का रुख बदलने लगा है,
अब तुम अपनी चाल भी बदल लो,
उठो,जागो और आगे बढ़ो,
अपने नांव की पाल बदल लो।”
मेरे उँगली पर यह वोट का निशान जैसे-जैसे देखती हूँ, वैसे-वैसे और गहरा नज़र आता है। वोट डालना लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है, जो हमारे राष्ट्र के हित में है। अपना मत ही मतदाता का अमोघ हथियार है, पर क्या मात्र वोट डाल देने से हम जिम्मेदार नागरिक की भूमिका अदा कर लेते हैं?
हाल ही में राजस्थान में हुए चुनाव के दौरान वोट डालने के लिए जब मैं चुनाव की लाइन में खड़ी थी, वहीं पर मेरे पीछे करीब-करीब 24 साल की एक युवा लड़की निरंतर वर्तमान राज्यकाल पर अपनी बड़ी नाराज़गी व्यक्त करती जा रही थी और कह रही थी कि मैं तो NOTA में जाना चाहती हूँ क्योंकि हमारे देश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ हमें बेवकूफ़ बना रही हैं, काफ़ी देर सुनने के बाद मेरा उससे कुछ सुदृढ़ सवाल, जो उसे भीतर तक झकझोर गया और फिर वो चुप होकर सोचने को विवश हो गई। मैंने उससे कहा कि हमारे इस ज़ोन में कितने राजनेता खड़े है, क्या तुम्हें इस बात की जानकारी है? माना कि सरकार तो बहुत खराब है, पर तुमने अब तक अपने देश के लिए कुछ किया है? चलो छोड़ो तुम तो पढ़ी लिखी हो तो ऐसे में क्या अब तक तुमने किसी को शिक्षित किया? क्या गवर्नमेंट के चलाए गए किसी भी अभियान को समझने की जरूरत समझी? क्या इस शहर को स्वच्छ और मनमोहक बनाने के लिए किसी को प्रेरित किया? क्या गरीबों की बस्ती में जाकर किसी को रोजगार दिया? ऐसी कई बातों को सुनने के बाद वहाँ कई पुरुषों एवं महिलाओं ने मेरा समर्थन किया और वो नतमस्तक हो गयी। यहाँ पर इस वाक्या का उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि सब कुछ सरकार पर छोड़ने से हम अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकते हैं।
महापौर से जाकर मेरा मिलना, इस ज़ज्बे के साथ था कि मेरे शहर को विशिष्ट बनाने में मेरा योगदान कैसे हो? उनका एक ही उत्तर था कि स्वच्छता का यह अभियान बिना जनता के सहयोग के संभव नहीं है। कुछ को तुम जगाओ, कुछ को मैं जगाता हूँ, और अपनी क्षमतानुसार निरन्तर प्रयासरत रही, यही लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का स्वरूप है।
हम सब ही कहते हैं कि राजनीति का मुखौटा घिनौना होता चला गया है उसकी एकमात्र वजह यही है कि हम इसे सबल बनाते गए हैं। बड़ी धन राशि देकर नेता बनने की टिकिट ली जाती है, पर यह टिकिट की धन राशि आती कहाँ से है? निसंदेह भ्रष्टाचार से ही आती है, वरना एक ईमानदार व्यक्ति अपनी मूलभूत सुख सुविधा और अपने परिवार का पालन पोषण कर ले, इतना ही धन कमा पाता है या उससे थोड़ा ज्यादा, बस! सच पूछो तो इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता कौन है? घूस लेने वाला कोई है तो देने वाला भी कोई तो जरुर है। निजीकरण से ऊपर उठ कर अच्छाई का सृजन करो, भ्रष्टाचार अपने आप दफन होगा, पर समस्या यही है कि जल में रहना है तो मगरमच्छ से कैसे बैर करें!
क्या भगवान राम स्वर्ग से आयेंगे हमारी समस्याओं का समाधान करने? जी नहीं, हमें स्वयं ही इसका समाधान निकालना होगा। समस्याएं हैं तो हल भी है। देश में जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ेगा वैसे-वैसे नई क्रांति का संचार होगा। ग़ौर से देखा जाए तो समय बदलने लगा है,जनता जागरूक होने लगी है, एक नया दौर शुरू हो गया है, नयी युवा सोच राजनीति में अपना कैरियर को देखने लगी है, वोट डालने के लिए आपको अनेकों नाम भी चयन करने के लिए मिलने लगे हैं, इसलिए बहुत जल्दी ही राजनीति का मुखौटा स्वच्छ होगा। सबल, साहसी और शिक्षित परिवार स्वस्थ समाज का निर्माण करता है। स्वस्थ और अनुशासित समाज सुदृढ़ राष्ट्र की संरचना करता है।
अब वक्त आ गया है बेबस और लाचार राजनीति की काया पलट करने की,
आओ! हम सब मिलकर आह्वान करे ईमानदार राजनीति की, एक स्वच्छ, ऊर्जावान और उज्ज्वल भविष्य की!
“जिनके वजूद होते हैं,
वो बिना पद के भी मजबूत होते हैं।”
]]>
https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/rajniti_itni_bebas_kyon/feed/ 3