खामोश गहरी आँखे, टूटता इंसान दिल में अथाह पीड़ा, बिखरती दर्द की पहचान। होठों पर लरज़ता रुदन, बेबस जिंदगी प्रेम की आस में, हृदय में घूटती सिसकी। फिर भी कांपते हाथों से देते हैं हमें आशीर्वाद बुजुर्गों के स्पर्श से खुलते उन्नति के मार्ग। ये हमें जानना होगा, मानना होगा दिल के हर कोने से पहचानना होगा। खुशियों से प्रथम परिचय हमारा करवा दिया जीवन के हर अनमोल सुखों से हमें मिलवा दिया। हमारे सुख की ख़ातिर सर्वस्व अपना लुटा दिया अपने दरिया दिली के सावन बिखेर खुशनुमा वातावरण बना दिया। स्वार्थ अहं भ्रांति भ्रम भावों से उठकर इनकी पहचान करो आशीर्वाद चाहते हो तो इन बुजुर्गों का सम्मान करो। मत भेजो इनको वृद्धाश्रम, न ही आईसोलेशन में रखो ये अनुभव के गहरे वृक्ष हैं, इनको सींचो और सम्भाल के रखो।
2020-06-06