आज विकास को फिर रोते पाया,
फुटपाथ पर कइयों को सोते पाया,
जन – धन आवास की योजना से,
अधिकांश लोगों को वंचित होते पाया।
रोटी, कपड़ा और मकान,
देना होगा इस पर ध्यान।
आज विकास को फिर रोते पाया,
यातायात पुलिस को पेड़ों के पीछे छुपते पाया,
रिश्वतखोरी की लालसा लिए,
वाहन चालकों को पकड़ते पाया।
सामने रहो,
यातायात सुचारू करो।
आज विकास को फिर रोते पाया,
भिखारियों को भीख माँगते पाया,
दरिद्रता, अभाव, फटे हाल इनको,
विदेशियों के आगे हाथ फैलाते पाया।
देश में भिखारी,
हटाओ ये बीमारी।
आज विकास को फिर रोते पाया,
सरकारी अस्पतालों में तड़पते पाया,
लापरवाही, लालच ने किया बेहाल,
मरीज़ों का यहाँ दम घुटते पाया।
जीवन दान,
महा कल्याण।
आज विकास को फिर रोते पाया,
अनाज को गोदामों में भरते पाया,
भूख, गरीबी से होकर परेशान,
किसानों को आत्महत्या करते पाया।
जय जवान जय किसान,
ये नारा है बड़ा महान।
आज विकास को फिर रोते पाया,
नौकरी के लिए दर-बदर भटकते पाया,
पढ़-लिख कर भी है बदहाल
बेरोजगारी से युवाओं को जुझते पाया।
युवा योजना उपलब्ध कराओ,
युवा पीढ़ी को सशक्त बनाओ।
आज विकास को फिर रोते पाया,
जीएसटी में लोगों को फंसते पाया,
धोखा,बेईमानी ने तोड़ा भरोसा,
देश के हर व्यापारी को उलझते पाया।
टैक्स में लाए सुधार,
बढ़ेगा देश का व्यापार।
कब तक विकास भारत का
यूँ रोता ही रह जाएगा,
दमकता सूरज का प्रकाश
कभी तो क्षितीज पर छाएगा,
नीतियों को परिष्कृत कर
आशा के दीप जलायेगा,
युग पुरुष,युग मानव
रोते हुए विकास को एक दिन
खुशियों में परिवर्तित कर जाएगा।
स्वप्न और आशा हर धड़कन में है,
नए भारत का इरादा मन में है।
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