वाणी

बोली की मिठास से
होती हमारी पहचान
संतों ने बताया हमको
बनता जीवन महान। 

हर सीख जो थी उनकी 
भूल गया देखो इंसान
कड़वाहट से नष्ट किया 
भूत भविष्य और वर्तमान। 

बोली की तीखी मार 
तलवार से पैनी धार 
हृदय चीर करती घाव 
मन भरते दुख के भाव।
 
कांव कांव करने लगे 
कटु वाणी से भरने लगे 
ऐसी बोली नहीं सुहाती 
अपनों को भी ग़ैर बनाती। 

कोयल जब कुंकु गाती 
मधुर गीतों का राग सुनाती 
ध्वनि कर्णो से भीतर जाती 
अंतर्मन को बड़ा लुभाती। 

मीठी बोली दवा समान 
ईश्वर का अनूठा वरदान 
ज़ख्म पर मलहम लगाती 
अमृत वर्षा सुख पहुँचाती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *