तारे ज़मीं पर

लघु कथा
आज अपने मित्र और उसकी दो बेटियों की वास्तविक कहानी आपके समक्ष प्रस्तुत करती हूँ। दोनों बेटियों के बीच तीन साल का अन्तराल। बड़ी बेटी नैना नाम के अनुरूप खूबसूरत, मृदुल स्वभाव, मैत्री भाव, पढ़ने में अव्वल, बुद्धिमान और अनुशासित है,विद्यालय में भी सभी शिक्षिकाएं भी उसे बेहद पसंद करती थी।मेरे मित्र जब भी उसके परीक्षा का परिणाम लेने जाते थे तो बेटी की प्रसंशा सुनकर गर्व महसूस होता था, उसके ठीक विपरीत छोटी बेटी आंचल नटखट, शैतान, बदमाशियां करना, पढ़ाई मन लगाकर नहीं करना, झगड़ा कर लेना उसकी आदतें थी,शिक्षिकाएं भी शिकायत करती थी, परन्तु उसका अंग-प्रत्यंग संगीत बजने पर थिरकता था।
घर की मुर्गी दाल बराबर। साज़, अंदाज़, मंच, पुरूस्कार न मिले तब तक बच्चें के प्रतिभा की कहाँ कदर होती है! मेरा मित्र सदैव रिश्तेदारों व मित्रों के बीच बस अपनी बड़ी बेटी के तारीफों के पुल बाँधता रहता था। समय बीतता गया, छोटी बेटी कॉलेज में पहुंच गई, मायूस होने के कारण पहले से ज्यादा जिद्दी एवं लड़ाकू हो गई थी, पर मन ही मन कुछ विशेष करके अपने घर वालों के सामने स्वयँ को श्रेष्ठ  सिद्ध करना चाहती थी।
कहते हैं ना एक अवसर ईश्वर सभी को देता है,ऐसा उसके साथ भी हुआ, कॉलेज में एक इंटर कॉलेज प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा था, जिसमें नृत्य गान नाटक सभी था, उसने अपना नाम दर्ज करवा दिया, बड़ी मुश्किल से उसको सिलेक्ट किया गया। चुपचाप रात-रात भर वो प्रैक्टिस करती थी, इसी दरमियाँ उसे चोट भी लगी, लेकिन उसमें कुछ कर दिखाने का ज़ज्बा हो गया था। वो दिन आया जब उसने बड़े मंच पर नृत्य किया,नृत्य ऐसा था मानो पूरा मंच थिरकने लगा हो, लोग स्तब्ध थे,पलकें तो जैसे झपकना ही भूल गई हो और ख़त्म होते ही तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हाॅल गूँज उठा,प्रथम पुरस्कार मिला, पूरे कॉलेज का नाम रोशन हुआ और फिर क्या था मेरे मित्र को शिक्षकों ने बधाईयाँ दी। उसके बाद तो समय जैसे पंख लगाकर उड़ने लगा, अनेकों सम्मान पत्र, गिफ्ट, प्राइज का अंबार लगने लगा। जो मित्र कभी छोटी बेटी का नाम नहीं लिया, वो अब उसकी प्रसंशा करने से थकता नहीं है।
उसने हम सभी के सामने अपनी भूल स्वीकार किया कि मैं गलत था, अपने बच्चों में समानता से परवरिश करना चाहिए। ये तारे ज़मी पर आए हैं, सब में अपनी-अपनी ख़ासियत है, हुनर है,अंदाज़ है, सिर्फ शिक्षा ही नही किसी भी क्षेत्र में अपनी इच्छानुसार आगे नाम कमा सकते हैं, ये कोमल फूल हैं, इनको मसलने का हमें कोई हक नहीं, इन्हें अपने तरीके से खिलने देना है, खुले आसमाँ में उड़ने देना है।
(मौलिक,स्वरचित, अप्रकाशित,सत्य व वास्तविक)

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