रबीन्द्रनाथ टैगोर-युग दृष्टा

भारत के युग पुरुष श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर
मेरी कलम सृजन कर हुई आत्म विभोर
7 मई को कोलकाता शहर में हुआ जन्म
अद्भुत प्रतिभा के धनी साहित्य धर्म कर्म
पिता देवेन्द्र नाथ टैगोर माता शारदा देवी
तेरह भाई बहन मृणालिनी पत्नी सस्नेही
लेखक चित्रकार महान थे वो साहित्यकार
देशवासियों को दिया राष्ट्र गान का उपहार
बांग्लादेश को दिया राष्ट्रीय गान का तोहफा
भारतीय पाश्चात्य संस्कृति जोड़ा कई दफ़ा
जोड़ासांकू ठाकुरबाड़ी इनका जन्म स्थल
बचपन में माँ के प्यार दुलार से हुआ वंचन
संगीत नाट्य लेखन कला से गहरा नाता
सक्रिय राष्ट्र वैचारिक दर्शन शास्त्र ज्ञाता
तैराकी जूडो कुश्ती कसरत रखा सीख
गद्य पद्य में किया हज़ारों साहित्य सृजित
सहित्य को विश्व के शिखर पर पहुँचाया
रचनाओं को मानवीय मूल्यों से सजाया
नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया
शांतिनिकेतन में शांति का जीवन जिया
गीतों का संग्रह गीतांजली अद्भुत प्रतिभा
रबीन्द्र संगीत गुरुदेव महान कवि आभा
ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान श्री निकेतन
सामाजिक सेवा भावी नयी सोच विवेचन
चित्रकार बन समाहित किया विभिन्न शैली
अछूतों के मध्यस्थ बाधाएँ भी खूब झेली
जलियांवाला बाग नरसंहार से हृदय द्रवित
नाइटहुड त्याग कर मानवता हुई परिचित
युग दृष्टा नव चेतना सांस्कृतिक ज़न संचार
भारतीय धरा के हमारे महान साहित्यकार
मानवता की बड़ी मिशाल टैगोर का जीवन
मधु ‘अक्षरा’ का शत्-शत् नमन शुभ वंदन।

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