ख़्वाहिशों की तपिश चाँद की चाँदनी अधूरी क्यूँ है तड़प उठती मेरे सीने में दिलों की प्यास अधूरी क्यूँ है बुलबुले उठ रहे है स्वप्न जाल ये रात अधूरी क्यूँ है लबों पे ख़ामोशी घायल मन की बात अधूरी क्यूँ है चूड़ियों की खनक पायल की झंकार अधूरी क्यूँ हैContinue Reading