आहट
2021-02-26
ठिठुर ठिठुर कर रात जागती भोर की आहट होने तक बोझ गुलामी का कंधों पर तुम ढ़ोते रहोगे कब तक।
सलाम लिखता है शायर तुझे ए मेरी शायरी मोहब्बत के नाम छपी हसीनाओं की डायरी इश्क़ की रंगत खिली दिल में जादू सा नशा बीत रहा ये साल नए कैलेंडर की हुई तैयारी।
धरती अम्बर चाँद सितारे लगते हैं कितने प्यारे जीवन के बंधन न्यारे प्रीतम छूटते टूटते तारे शोक नहीं मनाते सारे जो बीत गई वो रात है चाँद के बाद फिर से सूरज का आगाज़ है। Attachments area