सावन में भीगे हम भी सावन में भीगे तुम भी आग लगी सीना दहका आँचल भीगा सा मन का। मोहक बौछारें बरसे मादक हो त्यौं-त्यौं हरषे पायल के गूँजें घुँघरा प्रीतम को छू के बिखरा। पागल बूंदे नाच रही कोमल गंगा धार बही अंचल से गीला झरना चुंबन से अंकोंContinue Reading

सिंदूर,बिंदिया,चूड़ी,मेहंदी,झूमके,पायल,नथ सावन की रिमझिम बूँदों में पिया मिलन की है रुत आई अश्रु भरे मेरे नयन कटोरों में कहाँ छुपा है तू ओ हरजाई यौवन सज कर खड़ा द्वार पर प्रीतम अब तो तुम आ जाओ सिंदूरी लाली की छटा मुख पर कहती प्रेम का रस बिखराओ माथे की लालContinue Reading

पुरुषत्व ही शिव स्वरुप शिव ही सृष्टि आधार है।  बाह्य सख्त रूखा कठोर भीतर कोमल संसार है।  सावन में करते हम पूजा शिव महिमा अपरम्पार है। शक्ति से मिलती प्रेरणा भुजा बलशाली अपार है।  तेजस्वी तेज सा व्यक्तित्व उष्म प्रकाश का भंडार है।  अर्द्धनारीश्वर का सम्मान ब्रह्मा का सृजन साकारContinue Reading

बादलों की ओट में छिपा सूरज बरसते मेघों का स्वागत करते हैं नयनों में सजा कर सुंदर सपने नए अम्बर का आगाज़ करते हैं खेतों में चंचल सुघड़ यौवन उमड़ा पूरवाई में गज़ब उमंग ढेरों मस्ती खिले जीवन का पल-पल देखो अंतर्मन को परिष्कार करते हैं धानी चूनर ओढ़े वसुंधराContinue Reading

जो ख़ुद ही ज़हर पी जाते हैं  दूसरों पर अमृत छलकाते हैं  वही नीलकंठ महादेव कहलाते हैं।  आसां नहीं ज़हर ख़ुद के लिए रखना फूलों को छोड़ कर कांटों पर चलना कड़वाहट के घूंट गले से यूँ निगलना। ऐसा सिर्फ वो इंसां कर सकता है जो अपना कलेजा बड़ा रखताContinue Reading

ख्वाहिशें दम तोड़ रही है उम्मींद का दामन बचा नहीं है ज़िंदगी दर्द जोड़ रही है खुशियों का आलम सजा नहीं है मुझ को नहीं हो रहा है यक़ीन क्यूँ दिल में उमस-सी तारी है बेबसी से गुजर रहा है दिन अश्कों से रात अक्सर भारी है। भीड़ में भीContinue Reading