खाटू श्याम
खाटू के दरबार में, भक्तों की जयकार। महके इत्र गुलाब से, श्याम धणी सरकार।। भक्तों की जयकार से,गूंज उठा दरबार। महके इत्र गुलाब से,कलयुग के दातार।।
खाटू के दरबार में, भक्तों की जयकार। महके इत्र गुलाब से, श्याम धणी सरकार।। भक्तों की जयकार से,गूंज उठा दरबार। महके इत्र गुलाब से,कलयुग के दातार।।
किरणों ने अब दस्तक दे दी है चलो सूरज से दोस्ती कर लें कुछ दिल की बात करनी है थोड़ी सी संग गुफ़्तगू कर लें स्वागत गीत गाते हो पवन की अठखेलियों से हर सुमन महकाते हो तुम अपनी लालिमा से लपक झपक दुपहरी में कभी जवानी की ताप होContinue Reading
सिंदूर,बिंदिया,चूड़ी,मेहंदी,झूमके,पायल,नथ सावन की रिमझिम बूँदों में पिया मिलन की है रुत आई अश्रु भरे मेरे नयन कटोरों में कहाँ छुपा है तू ओ हरजाई यौवन सज कर खड़ा द्वार पर प्रीतम अब तो तुम आ जाओ सिंदूरी लाली की छटा मुख पर कहती प्रेम का रस बिखराओ माथे की लालContinue Reading
पुरुषत्व ही शिव स्वरुप शिव ही सृष्टि आधार है। बाह्य सख्त रूखा कठोर भीतर कोमल संसार है। सावन में करते हम पूजा शिव महिमा अपरम्पार है। शक्ति से मिलती प्रेरणा भुजा बलशाली अपार है। तेजस्वी तेज सा व्यक्तित्व उष्म प्रकाश का भंडार है। अर्द्धनारीश्वर का सम्मान ब्रह्मा का सृजन साकारContinue Reading
जो ख़ुद ही ज़हर पी जाते हैं दूसरों पर अमृत छलकाते हैं वही नीलकंठ महादेव कहलाते हैं। आसां नहीं ज़हर ख़ुद के लिए रखना फूलों को छोड़ कर कांटों पर चलना कड़वाहट के घूंट गले से यूँ निगलना। ऐसा सिर्फ वो इंसां कर सकता है जो अपना कलेजा बड़ा रखताContinue Reading
अपने हिस्से की भूख दबाकर माँ बच्चे को रोटी खिला देती है रोटी में अमृत की बूंदे समा कर प्यार का गागर छलका देती है। वही बच्चे बड़े होकर भूल जाते बचपन का प्यार दुलार संस्कार न ध्यान रखते न ही सेवा करते बुढ़ापे में छोड़ते साथ कई बार। पल-पलContinue Reading
मेरे मन को ले जा रही है ये हवाएं आसमाँ की ओर अब इन हवाओं से क्या कहूँ इरादों को पंख लग गए हैं अब कौन बांध पाएगा निगाहों में टिकी है मंज़िल अर्जुन की तरह लक्ष्य साधे बस उस ओर बढ़ चला हूँ नहीं इसे कोई रोक पाएगा इनContinue Reading
भारत के युग पुरुष श्री रबीन्द्रनाथ टैगोर मेरी कलम सृजन कर हुई आत्म विभोर 7 मई को कोलकाता शहर में हुआ जन्म अद्भुत प्रतिभा के धनी साहित्य धर्म कर्म पिता देवेन्द्र नाथ टैगोर माता शारदा देवी तेरह भाई बहन मृणालिनी पत्नी सस्नेही लेखक चित्रकार महान थे वो साहित्यकार देशवासियों कोContinue Reading
पुस की अंधेरी रात सर्द हवाएं यादों में लेखक मुंशी प्रेमचंद इंसान और पशु प्रेम का भाव सजाती ये कथा पहली पसंद कहानी का नायक हल्कू और जबरू कुत्ते के रात्रि का संघर्ष मार्मिक कथा काव्य में रूपांतरित कर हुआ हृदय को स्पर्श पैसों की तंगी जमीनदार की धौंस जमाContinue Reading
परिंदों को पंख मिले गली मोहल्लों को मिली पहचान सचिन ने जब बल्ला उठाया राष्ट्र का बढ़ाया सम्मान मिट्टी से सने हाथ-पैरों ने लिखा इक नया इतिहास कहानी किस्से सपने बचपन के जीवित एहसास खेल-कूद पढ़ाई-लिखाई निश्चल बाल सुलभ मन भूल-भुलैया बंद कमरा न जाने क्यूँ खोता बचपन सूरज सेContinue Reading