बरसों से बैठा ये देख रहा मैं राहगीरों को बस आते-जाते अटल साक्षी हूँ इस पथ का बीते दिन यहाँ बीती हर रातें मौसम की कभी ढलती छाया धूल मिट्टी में सदा लिपटा रहा कल भी था वही मैं आज भी अपनी जगह पर सिमटा रहा मंज़िल का हूँ संकेतContinue Reading

हिमालय की गोद में स्थित देव भूमि हिमाचल प्रदेश के स्पिती वैली की रोमांचक यात्रा का पांचवां दिन – काजा ताबो की सुबह बड़ी हसीन थी, जल्द ही उठ कर तैयार हो गए और नाश्ता करके निकल पड़े अपनी नई मंज़िल की ओर, जिसका नाम था “काजा”। हमारे मन मेंContinue Reading

मेरे मन को ले जा रही है ये हवाएं आसमाँ की ओर अब इन हवाओं से क्या कहूँ इरादों को पंख लग गए हैं अब कौन बांध पाएगा निगाहों में टिकी है मंज़िल अर्जुन की तरह लक्ष्य साधे बस उस ओर बढ़ चला हूँ नहीं इसे कोई रोक पाएगा इनContinue Reading

जुनून कुछ कर दिखाने का अपने साहस से कुछ पाने का। दीवानगी इस कदर छाई है अपार ऊर्जा भर आई है। सपनों को नए पंख लगे हैं उड़ान भरने को मचल उठे हैं। जुनून ए इश्क़ हो या कुछ बनने की चाह आत्मविश्वास से मिलती राह। नींद नहीं मुझे आContinue Reading

गिर कर थपेड़े वक़्त के खाती रही हूँ मैं फिर से चलने का साहस बढ़ाती रही हूँ मैं मंज़िल की ओर निरंतर जाती रही हूँ मैं हर पल हर दिन नई ऊर्जा लाती रही हूँ मैं। आत्मबल से पूरित हो जाए मेरा पूरा जीवन उत्साह उमंग आनंदित उल्लासपूर्ण हो मेराContinue Reading