सिंदूर,बिंदिया,चूड़ी,मेहंदी,झूमके,पायल,नथ सावन की रिमझिम बूँदों में पिया मिलन की है रुत आई अश्रु भरे मेरे नयन कटोरों में कहाँ छुपा है तू ओ हरजाई यौवन सज कर खड़ा द्वार पर प्रीतम अब तो तुम आ जाओ सिंदूरी लाली की छटा मुख पर कहती प्रेम का रस बिखराओ माथे की लालContinue Reading

मैं उससे प्यार करती थी वो मुझसे प्यार करता था कहने को तो इकरार था वही मेरा संसार था माँ बाप ने मेरा रिश्ता किसी और से तय कर दिया बहती नदी की धार का मानो रुख ही बदल दिया अनकही कई बातें रह गई आहिस्ता-आहिस्ता जिंदगी ही बदल गईContinue Reading