तर्क और वितर्क करते-करते कब कुतर्क से ग्रसित हुए गंवा दिए अपना अमूल्य जीवन नहीं हम विकसित हुए हठ असंयम अनर्गल बातों से ख़ुद की ऊर्जा को नष्ट किया माना बनाया स्वयँ को विजेता अहंकार मूर्खता से पथ भ्रष्ट किया। कुतर्क को क्यों देते हैं हम तर्क भ्रम के बीमारोंContinue Reading