आज मन व्याकुल है,उसने बताया वो फिर इसी शहर में है। वो दिन भी क्या दिन थे जब मन पंख उठाकर उड़ता था, घंटों एक दूजे के संग बैठे होते थे और आंखों में प्रेम का महासमुंद्र हिलोरें लेता था,पुरवाई अंगड़ाई लेकर प्रेम के राग सुनाती थी, एक दूजे कोContinue Reading

पहली कहो चाहे आख़िरी एक ही पर ये दिल आया मांग में सिंदूर भर जिसने मुझे जीवन साथी बनाया मोहब्बत को क्या नाम दूँ उसको क्या मेरा पैगाम दूँ सोचती रही कलम उठाया मैंने ख़त लिख भिजवाया आज राज खोल ही देती हूँ प्रेम की कहानी बोल देती हूँ गुलाबContinue Reading