बचपन से पचपन के सफ़र में सच्चा मित्र बनकर साथ दिया मेरे दिल में भरे ढेरों सवालों का पल – पल सही तूने जवाब दिया भटके मन की व्यथा को कम कर मन को एकाग्र शांति सुकून दिया कभी मुझे हँसाकर कभी रुलाकर सशक्त शिक्षा प्रेरणा सद्गुण दिया पुस्तक लेContinue Reading

आज़ाद परिंदों की तरह उड़ान मिले स्वयं का वज़ूद भरपूर सम्मान मिले मानव अधिकारों का हनन ज़ुल्म सितम नए परवाज़ के साथ उठाए जाते कदम राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन अनेकता में एकजुटता परिभाषित प्रबंधन शिक्षा स्वास्थ आर्थिक मूलभूत जीवन सुविधा सुरक्षित माहौल भेदभाव रहित सुंदर विधा अधिकारों काContinue Reading

संस्कार कोई किताबी ज्ञान नहीं है, न ही पेड़ों पर उगता है बल्कि यह बचपन से ही माता-पिता, शिक्षक, समाज और आसपास के वातावरण से सृजित होता है। संस्कार हमारे आचरण से, व्यवहार से और सद्कर्मों से बनते हैं।माँ – बाप तो सारे ही अच्छे हैं और सभी अपने बच्चोंContinue Reading