सिंदूर,बिंदिया,चूड़ी,मेहंदी,झूमके,पायल,नथ सावन की रिमझिम बूँदों में पिया मिलन की है रुत आई अश्रु भरे मेरे नयन कटोरों में कहाँ छुपा है तू ओ हरजाई यौवन सज कर खड़ा द्वार पर प्रीतम अब तो तुम आ जाओ सिंदूरी लाली की छटा मुख पर कहती प्रेम का रस बिखराओ माथे की लालContinue Reading

ख्वाहिशें दम तोड़ रही है उम्मींद का दामन बचा नहीं है ज़िंदगी दर्द जोड़ रही है खुशियों का आलम सजा नहीं है मुझ को नहीं हो रहा है यक़ीन क्यूँ दिल में उमस-सी तारी है बेबसी से गुजर रहा है दिन अश्कों से रात अक्सर भारी है। भीड़ में भीContinue Reading

इश्क़ का उठ रहा जनाज़ा है,कई दफ़ा तराशा है दर्द उठ रहा है सीने में,बेवफ़ाई में टूटा भरोसा है गलतफ़हमी हुई बरबाद हुए, कौन करेगा यक़ीन शहर में रुसवाई है, हर तरफ़ यार का तमाशा है।