इस शहर को क्या होने लगा है!धुएँ में जिन्दगी को खोने लगा है, कश लगाकर खुश होने लगा है, नशे में खुद को डुबोने लगा है। माना इस जहाँ में सब अधूरे हैं, मुकम्मल कौन है, शिकायतें हैं जिन्दगी से भरपूर, यहाँ पर खुश कौन है! होने लगी है मायूसी,Continue Reading