नन्हें हाथों में होता मखमली स्पर्श का प्यारा एहसास अनुभूति होती अद्भुत गोद में बच्चे का माँ पर विश्वास बच्चों की किलकारियों से गूंजता घर का हर कोना आँगन मानों कोई फुलवारी महकती बगिया में जीवन का प्रांगण पति पत्नी के प्रेम की नींव से सृजन हो जाता वट वृक्षContinue Reading

कौन से जीवन का कसूर भाग्य क्यूँ हुआ मजबूर संसार चक्र है नासूर बाल मजदूर कभी बेचता गुब्बारे कभी बेचता पतंग बेहाल फटेहाल जिन्दगी है ख़ुद से ही तंग छोटू दो कप चाय लाना रिश्ता इन शब्दों से बड़ा पुराना नन्हें हाथों से जूठे बर्तन धीरे-धीरे होता परिवर्तन गरीबी शोषणContinue Reading