सिंदूर,बिंदिया,चूड़ी,मेहंदी,झूमके,पायल,नथ सावन की रिमझिम बूँदों में पिया मिलन की है रुत आई अश्रु भरे मेरे नयन कटोरों में कहाँ छुपा है तू ओ हरजाई यौवन सज कर खड़ा द्वार पर प्रीतम अब तो तुम आ जाओ सिंदूरी लाली की छटा मुख पर कहती प्रेम का रस बिखराओ माथे की लालContinue Reading

बादलों की ओट में छिपा सूरज बरसते मेघों का स्वागत करते हैं नयनों में सजा कर सुंदर सपने नए अम्बर का आगाज़ करते हैं खेतों में चंचल सुघड़ यौवन उमड़ा पूरवाई में गज़ब उमंग ढेरों मस्ती खिले जीवन का पल-पल देखो अंतर्मन को परिष्कार करते हैं धानी चूनर ओढ़े वसुंधराContinue Reading