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bhavuk – Ek Pehal https://www.ekpehalbymadhubhutra.com आओ हम सब मिलकर इस एक पहल को नयी सोच और नयी दिशा की ओर ले चले। Tue, 09 Nov 2021 12:33:59 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.4.1 बैरी मन https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/bairi-man/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/bairi-man/#respond Tue, 09 Nov 2021 12:33:59 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=1360 Continue Reading]]> सिंदूर,बिंदिया,चूड़ी,मेहंदी,झूमके,पायल,नथ सावन की रिमझिम बूँदों में पिया मिलन की है रुत आई अश्रु भरे मेरे नयन कटोरों में कहाँ छुपा है तू ओ हरजाई यौवन सज कर खड़ा द्वार पर प्रीतम अब तो तुम आ जाओ सिंदूरी लाली की छटा मुख पर कहती प्रेम का रस बिखराओ माथे की लाल सुर्ख बिंदिया तेरे वज़ूद का देती एहसास चुरा ले गई आँखों से निंदिया बस में नहीं मेरी अपनी श्वास सात जन्मों के संग फेरे लेकर मोहपाश के बंधन से बंध गई पिया नाम की चुंदड़ ओढ़कर चूड़ियाँ भी मुझसे क्यूँ तंज गई बैरी मन भावुक हो उठा है देख गहरी मेहंदी हाथों की सजना का रंग ऐसा चढ़ा है घड़ी रुक गई अब रातों की झुमके गालों से टकरा कर सूने हृदय सिमटकर जा रहे मधुर प्रेम संगीत भूल कर मन की व्यथा को दर्शा रहे पायल की खनक में है पीर बिछुड़ी पैरों में चुभने लगी है प्रेम का अनूठा मानस मंदिर आँच लौ की बुझने लगी है नथ मेरी बोल रही ओ बालम कठिन हुआ विरह का वियोग नहीं सहा जाता अब मुझसे बन गया है ये दिल का रोग। तुझ बिन मेरा जीवन खाली विकल मन को नहीं गवारा है लौट आओ मेरे प्यारे प्रियतम धड़कनों को इंतज़ार तुम्हारा है। ]]> https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/bairi-man/feed/ 0