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best rating online food – Ek Pehal https://www.ekpehalbymadhubhutra.com आओ हम सब मिलकर इस एक पहल को नयी सोच और नयी दिशा की ओर ले चले। Wed, 12 Jun 2019 09:59:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.4.1 ऑनलाइन…. घर बैठे खाना https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/online-ghar-baithe-khana/ https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/online-ghar-baithe-khana/#comments Wed, 12 Jun 2019 09:58:57 +0000 https://www.ekpehalbymadhubhutra.com/?p=325 Continue Reading]]> Swiggy, Uber Eats, Zomato जैसी कंपनियों से मिल रहा है ऑनलाइन…. घर बैठे खाना – उचित या अनुचित?

खाने के लिए जिंदा है या जिंदा रहने के लिए खाना है। समझे….

आपके घर पर आधे घंटे में ही आपके पसंद का खाना उपलब्ध। बड़ा मज़ा आ रहा है, जो चाहते हो वो खाने को मिल रहा है, इससे ज्यादा मज़ेदार तो कुछ हो ही नहीं सकता। पहले हम सभी को अपनी माँ से फ़रमाइश करनी पड़ती थी, फिर माँ उन सामानों का इंतज़ाम कर उस पसंदीदा खाने को पका कर खिलाती थी, उस प्रक्रिया में समय लग जाता था, पर ये क्या! अब तो सोचते हैं और पूरा हो जाता है। वर्तमान तो बहुत अच्छा है, भविष्य की किसे चिन्ता है। जीना है तो सिर्फ़ आज के लिए, कल किसने देखा है। फिर क्यों हम भविष्य के लिए योजनाएं बनाते हैं, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के लिए म्यूचुअल फंड का प्लान लेते हैं तो कभी पेंशन योजना, किसी की भी कहाँ ज़रूरत है!आज के लिए बने हो, आज के लिए ही जिओ, कल की फ़िकर क्यों करनी है। कल शरीर में जो भी होगा उसे झेल लेंगे। डॉक्टर, हॉस्पिटल अनेकों सुविधाओं से युक्त हमारा देश है,समस्या ही क्या है, कुछ भी होगा, हर बीमारी का इलाज सम्भव है, पर हम उस और क्यों चल पड़े हैं, क्या आलस्य या रसोई घर से उफताव या बाज़ार के खाने की आसानी से उपलब्धता, क्या वजह है कि पहले घर में माँ गेहूँ मंगाकर पिसवाकर रोटियाँ बनाती थी,सारे सूखे मसाले जैसे मिर्ची, हल्दी, धनिया इत्यादि स्वयं तैयार करती थी, दाल चावल को घर में चुन-बिन कर धूप में रखकर विशेष गुणवत्ता और स्वच्छता पर ध्यान दिया जाता था, क्या यह ऑनलाइन मंगाये गए खानों में मिल पा रहा है, चिंतनीय विषय बन गया है और सच बात यह है कि इस धारा में सभी बहे जा रहे हैं, सिर्फ आप नहीं हम सभी और कैसे समझाए स्वयं को और किसी और को भी, इस ज्वलंत समस्या का समाधान कैसे होगा? सभी को मिलकर समाधान ढूँढना होगा।


दूसरी समस्या जो सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है कि कोई भी फूड का ऑनलाइन ऑर्डर दिया जाता है, वह रेटिंग के आधार पर होता है, ब्लॉगर के द्वारा लिखे गए ब्लॉग से प्रभावित होता है या फिर रिव्यू से होता है, जो अधिकांश खरीदे जाते हैं और हम उन सबसे भ्रमित होते हैं क्योंकि यह तो व्यापार है। कभी-कभी हम ऐसी जगहों से खाना मंगाते है, जिसे आप देख लो तो खाना तो छोड़ो, रुकना भी नहीं चाहेंगे, इसलिए ऑनलाइन ऑर्डर देने के समय यह विशेष ध्यान रखे, जिस जगह के खाने की गुणवक्ता को आपने परखा है, वही से ज़रूरत पड़ने पर मँगवाने का प्रयास करे,प्रलोभनों और प्रचारों में न फँसे। 


तीसरी बात खाने का नुकसान बहुत होने लगा है, पसंद नहीं आया फेंक दो, झूठन बढ़ गई है क्योंकि आपने मेहनत से बनाया होता तो आपको उस खाने से मोह – माया होती, पर यहाँ तो खाने से कोई भावनात्मक संबंध नहीं जुड़ा है तो यही सोच कर हम उसका नुकसान करने में कतई नहीं सोचते हैं।धीरे-धीरे एक समय में आयेगा जब खाना महज़ खाना-पूर्ति बन कर रह जाएगा, क्योंकि
वह स्वाद ही महसूस नहीं कर पाएंगे।


चौथी बहुत बड़ी समस्या, जिसे हम सभी मिलकर आमंत्रित कर रहे हैं, वह यह है कि हमारा नाम, पता और मोबाइल नंबर हम ख़ुद ही किसी और के हाथों सुपुर्द कर रहे हैं, यह किस भयावह भविष्य की ओर अपने आप को धकेल रहे हैं जो शायद सबकी समझ के परे हो रहा है। रात के दो बजे भी आपके द्वार पर इन कंपनियों के कर्मचारी, क्या सोचते हैं आप, क्या यह एक सुरक्षित माहौल है! जी नहीं, ये वक़्त न खाने का है, न किसी के घर में आने का है।


सुविधाओं का उपयोग अच्छा है, दुरुपयोग नहीं। अगर आप अस्वस्थ हो, खाना पकाने में लाचार हो, यात्रा पर हो, कभी-कभार स्वाद परिवर्तन के लिए आप ऑनलाइन ऑर्डर करे, पर इसे दैनिक जीवन की दिनचर्या में शामिल न करे, यही हमारे जीवनशैली के लिए उपयुक्त होगा।
कई बातों की समीक्षा के बाद यह तो तय है कि शायद आने वाले समय में हम ऑनलाइन भोजन मँगवाना बंद कर देंगे और नहीं तो थाइलैंड जैसे देशों की तरह हमारे यहाँ भी घरों से रसोई घर नहीं बचेगा।


“भूल जाओ स्वास्थ्यवर्धक खाना, भूख लगे तो ऑनलाइन मंगाना।” 


क्या कहते हैं आप?

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