ज़माने की तल्खियों से चित्कार करता मन सौ शब्दों के जाल बुन प्रतिकार करता मन ख़ामोशी कहती मन से आज मत उलझ किसी से…उलझेंगे… फिर कभी **************************** सफ़र में थी बड़ी मौज मस्ती गाना बजाना एक दूजे संग कभी ताश कभी लुडो खेलना स्टेशन आया सब गले मिले खुश होकरContinue Reading