प्रेम में क्या हार हो क्या जीत ये परमात्मा का सुमधुर गीत अंतरात्मा को महसूस करना यहीं जगत की है सच्ची रीत जीत से ख़ुशी हो हार से विकल समभाव से जीवन होता सफ़ल हार जीत भुलकर ऊपर उठना कीचड़ में खिल जाता है कमल बस पा लेना ही जीतContinue Reading