सुषमा स्वराज-अचल अटल अमर

                                                                         
हर आँख ग़मगीन है, 
हर होंठ पर धुनी रमायी है, 
हर गली हो रही वीरान, 
सुषमा जी की हुई विदाई है। 
जन्म-मरण काल चक्र के दो चरण, 
निरंतर चलता जाएगा, 
आज तेरी बारी कल मेरी बारी, 
जो आया है सो जाएगा। 
फूल बन कर जो जिया,
वो मसला जाएगा, 
अचल अटल सत्य पर चला तो, 
मरणोपरांत अमर हो जाएगा।
आकाश पर चढ़ती उल्टी बेल, 
सृष्टि के अनगिनत खेल, 
दिव्य ओजस्विनी कर्म पिपासा, 
प्रभावी वाणी, गज़ब  का मेल।
जीवन की कहानी, 
न मैंने जानी न तूने जानी, 
बिखरी जब रचना, 
बनी एक नई सृष्टि अन्जानी।
ओंस की बूंदे मोती बन कर, 
रात भर खिलती रही, 
सवेरे की किरणों के आते ही, 
धूल में मिलती गई।
इस धरा को रोशनी से किया सरोबार, 
देश की जनता पर किया तूने उपकार, 
जीवन है अनमोल उपहार, 
मृत्यु नए जीवन का संचार।
भारत की महान देवी सुषमा, 
स्मृति पटल पर अंकित हो गई, 
स्वराज की गौरव पूर्ण गाथा
क़िताब के पन्नों पर स्वर्णिम हो गई।
मधु भूतड़ा
गुलाबी नगरी जयपुर से

1 Comment

  1. कविता के माध्यम से स्वर्गीय सुषमाजी स्वराज को दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि ने मन मे सुषमाजी स्वराज के राजनीतिक पथ के विभिन्न पल अनायास मन पटल पर अंकित कर दिए।
    प्रभु कृष्ण की परम भक्त तथा सदैव अपने मुख से प्रभु के होठों के अलंकार का उच्चारण होता रहे अतः ऐसा नाम बांसुरी अपने अंश का रखा।
    संस्कृत की परम ज्ञाता तथा अन्य भाषाओं की विद्वता तथा राजनीतक जीवन मे जिस पद पर आसीन हुई उस पद का निर्वाह ससम्मान करने में कोई भी कमी नही रखी।
    ऐसी सम्मानीय नेता व सशक्त नारी अब हमारे बीच नही है लेकिन उनकी यादे हरदम बनी रहेगी।
    भावपूर्ण श्रद्धांजलि
    🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

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