शिव और सावन

पुरुषत्व ही शिव स्वरुप 
शिव ही सृष्टि आधार है। 

बाह्य सख्त रूखा कठोर 
भीतर कोमल संसार है। 

सावन में करते हम पूजा 
शिव महिमा अपरम्पार है।  

शक्ति से मिलती प्रेरणा 
भुजा बलशाली अपार है। 

तेजस्वी तेज सा व्यक्तित्व 
उष्म प्रकाश का भंडार है। 

अर्द्धनारीश्वर का सम्मान 
ब्रह्मा का सृजन साकार है। 

नर नारायण बनके सृष्टि में
जीवन चक्र कवच धार है।  

भावनाओं का महासमुंदर
कर्मक्षेत्र का अनंत सार है। 

सुदृढ़ समाज का अस्तित्व
ओजपूर्ण वाणी का संचार है। 

पुरुषार्थ प्राप्ति हेतु सर्वोत्कृष्ट 
हिन्दुत्व पुंसवन संस्कार है।  

शिव पुरुषत्व जीवन चेतना
अमृत बूंदे प्रभु का आभार है। 

बम बम भोले गूंजते मंदिरों में 
शिव भक्ति से ही बेड़ा पार है।  

सावन का अद्भुत है महीना
रिमझिम बूँदों की झंकार है। 

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