परिवहन विशेषांक – 2
सीट बेल्ट की क्यों है जरूरत? कार में लगा सीट बेल्ट क्या हमारा सुरक्षा कवच है? ट्रेफिक नियमों को पालन करना क्या हमारी मजबूरी है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब हम ढूँढ़ते हैं।
दीपावली पर एक गृहणी के नाते अपने घर के कई घरेलू कार्यों को करने के लिए स्वयं चलाते हुए गाड़ी लेकर निकल पड़ी, फल – सब्ज़ी लेना, मेडिकल स्टोर पर उतरना, पूजा की सामग्री खरीदना, मिठाई की दुकान से मिठाई खरीदना, गिफ़्ट शॉप से उपहार लेना, कुम्हार से मिट्टी के दीपक लेना और कबूतर को दाने खिलाना इत्यादि कई ऐसे छोटे-छोटे कार्य थे, जिन्हें करना पड़ा। ऐसे में हर बार गाड़ी में बैठना, सीट बेल्ट लगाना और फिर सीट बेल्ट हटाना, इस लगाने और हटाने की प्रक्रिया में एक सवाल जो मन में आया कि सीट बेल्ट की आवश्यकता ही क्यों है? जब शहर में स्पीड लिमिट ही तय कर दी गई है।
अगर दृष्टिकोण को बड़ा करते हैं तो यह पाते हैं कि विश्व के प्रायः सभी देशों में सीट बेल्ट का उपयोग किया जाता है। भारत में भी कई शहरों में इस नियम का बखूबी से पालन किया जा रहा है, चाहे यातायात पुलिस के दबाव से ही सही, पर नियम पालन तो होने लगा है, और धीरे-धीरे हमारी आदतों में भी तब्दील होने लगी है। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लापरवाही बरती जा रही है, जिस पर ध्यानाकर्षक करना चाहिये। वर्तमान में नई गाड़ियाँ जो बाज़ार में उपलब्ध करायी जा रही है उसमें प्रावधान ही ऐसा बना दिया गया है, जिसमें अगर चालक सीट बेल्ट न लगाये तो एक ऐसी ध्वनि बजने लगती है जो आपके मस्तिष्क को परेशान करती है, ऐसे में गाड़ी चालक स्वयं ही बेल्ट लगाने को मज़बूर होता है। साथ ही सीट बेल्ट न लगाने पर जुर्माना लगाया जाता है, यह डर आपको सीट बेल्ट लगाने के लिए बाध्य करता है। माना कि सीट बेल्ट की शहर में लगाने की आवश्यकता कम है, एयर बैग भी गाड़ी में सुरक्षा के लिए होते हैं पर यह नियम हम सबकी सुरक्षा के लिए बनाया गया है और इसे हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं, अतः इसका पालन आवश्यक है। विशेष तौर पर हाईवे पर चलाते समय सीट बेल्ट का लगाना बेहद जरूरी है। बाहर के देशों में गाड़ी में पीछे बैठे पैसेंजर को भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है।
मानवीय जीवन का मूल्य अनुशासन का उद्गम है। हम सभी को सजा से भी डर लगता है तो मौत से भी हम डरते हैं।
पिछले पोस्ट में दुपहिया वाहन पर लिखे गए मुद्दे पर फिर एक बार आपके सामने रखती हूँ कि जब चार पहियों की गाड़ी में सवार होकर हम सभी अपनी जीवन सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं तो इसकी तुलना में दुपहिया वाहनों में दुर्घटना की संभावना अत्यधिक बनी रहती है, ऐसे में हम सभी हेलमेट का प्रयोग करने में असमर्थ क्यों हैं?
“क्यों कर रहे हो इतनी मस्ती,
जब जिन्दगी नहीं है इतनी सस्ती!”
मन का भोजन है जिज्ञासा, ज्ञान और तृप्ति एक और महत्वपूर्ण सवाल आप से फिर से करती हूँ कि शहर में सीट बेल्ट लगाना क्या जरुरी भी है?
आपने पूछा कार में लगा सीट बेल्ट क्या सुरक्षा कवच है।हा कार में लगा सीट बेल्ट सुरक्षा कवच है।शहर हो या highway बेल्ट लगाना जरूरी है।
शहर में भले ही speed limit तय कर दी पर क्या उसका पालन होता है।
आज की नई पीढ़ी, बस या ट्रक चालक क्या आप इन पर भरोसा कर सकते है।आज हर शहर की सड़कें चौड़ी हो गई है /हो रही है।
कुछ दिनों पहले घर के सामने सुबह का वक्त खाली सड़क खड़ी कार को एक मिनी बस ने जोरदार टक्कर मार दी।सीट बेल्ट की वजह से चालक की जान बच गई।
कृपया सीट बेल्ट जरूर लगाये।
अब हर चौराहों पर कैमरे लग चुके है अतः दुपहिया वाहन चालक को जैसा भी हेलमेट हो पहनना जरूरी है अन्यथा आप कैमरे में कैद हो जाएंगे और चालान आपके घर पहुच जाएगी।
सरकार नियम बनाती है और हमे उसका पालन करना चाहिए।अपने जीवन की सुरक्षा हम किस तरह करे इसका विचार हमे खुद करना है।
जय श्री कृष्ण
आपकी प्रतिक्रिया पाठकों के लिए अवश्य सार्थक होगी।
प्रणाम।