सत्य की राह

स्वर्णिम जीवन का देखते हो तुम अद्भुत सपना
झूठ धोखा बेईमानी से कभी नहीं होगा अपना। 

मन के ऊपर कालिखों का आवरण हटाना होगा 
सत्य की साबुन से मल मल कर मैल छुड़ाना होगा।

सत्य के साथ खड़े रहने का अदम्य साहस तुम लाओ 
झूठ की भीड़ में जाकर मत अपना मुख छुपाओ। 

झूठ मक्कारी की विजय चंद पल अति क्षणिक 
सत्य के साथ जीवन की राह नहीं भटकता वो पथिक। 

सत्ता धन लोभ छोड़ ईमानदारी सच से जीते हैं
जीवन संघर्ष में वही इंसान अपना इतिहास रचते हैं। 

ये जीवन खूब मिला है मत कर दुष्टों के बुरे कर्म
पता नहीं कब काल आएगा हो जाएगा तेरा अंत।

जीवन की बहुमूल्यता को पहचान रे इंसान
सत्य की खोज उठ चल पड़ मिलेगा तुझे भगवान।

 

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