सच्चा साथी

सुख के साथी सब हैं दुख में कोई नहीं आता
वो जिये या मरे सोचते लोग अपना क्या जाता

सुख दुख जीवन के दो पहलू हर कोई जानता
मुसीबत में साथ दे वही सच्चा साथी कहलाता

काल चक्र का पहिया हर किसी को है सताता
क्षण भर में जीवन का रूप परिवर्तित हो जाता

अपनों की आस में मन का अम्बक अश्रु बहाता
हाल ए हकीकत ज़िंदगी का सच बयां कर जाता

राह पर पड़े कंकरों को नहीं कभी कोई उठाता
ठोकरें मार कर आगे बढ़ जाते रास्ते की दास्तां

दुखी होता मन जब खुद पर ग़मों का साया आता
राजा हो या रंक अंतिम समय वह बहुत पछताता

ईश्वर पर भरोसा रखने वाला सदा ख़ुश हो पाता
मैल मन का धोकर दुख में सबका साथ निभाता।


 

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