बचपन से पचपन के सफ़र में सच्चा मित्र बनकर साथ दिया मेरे दिल में भरे ढेरों सवालों का पल - पल सही तूने जवाब दिया भटके मन की व्यथा को कम कर मन को एकाग्र शांति सुकून दिया कभी मुझे हँसाकर कभी रुलाकर सशक्त शिक्षा प्रेरणा सद्गुण दिया पुस्तक ले जाती नींद के आगोश में सिरहाने अक्सर वो खुली रह जाती दिल की मेहमान बनके मेरे सपने में चिंतन मंथन मनन अध्ययन करवाती विद्या बुद्धि विवेक विनय शीलता से जीवन सभ्य सुखी समृद्ध सार दिया मेज़ पर रखी कलम दवात कॉपी ने लेखनी अनुपम अद्भुत उपहार दिया वेदों का ज्ञान पौराणिक कथाओं से धर्म संस्कृति संस्कार सम्मान किया मधु 'अक्षरा' ख़िताब पाकर हृदय से माँ शारदे का ज़न हित आह्वान किया आदि से अनादि काल तक चिर सृष्टि में जीवंत शाश्वत लेखनी जगत धन्य किया गहन अंधकार अज्ञान तिमिर दूर करके जीवन रथ को ज्ञान से उज्जवल किया पुस्तकों के महासागर में डुबकी लगा के महापुरुषों ने धरा पर प्रकाश फैला दिया हम पढ़ेंगे दूसरों को पढ़ाएंगे सब मिल के साक्षरता का नव पाठ सबको पढ़ा दिया।
2021-04-24