नया अंदाज़

जिंदगी के धूप में
बड़ी तपन है
दिल के अंधेरों में
बढ़ी घुटन है 
वो आँधियों की तरह 
उड़ता रहा 
मेरे हर साँसों में 
शोर करता रहा 
उफ्फ ये आँधी के साथ 
गम की बरसात भी 
आने लगी है 
मेरे मन को बड़ा 
सताने लगी है
माना तेरे जाने का
ग़म बहुत है 
अपने हौसलों को
आहिस्ता आहिस्ता 
बढ़ाने लगी हूँ
टूट कर बिखर जाऊँ 
अच्छी बात नही
जिंदगी को सबक
सिखाने लगी हूँ 
तुमको भूल कर अब 
एक नई राह पर 
जाने लगी हूँ 
मन की बात 
काग़ज पर लिख कर 
अनजानों को  
समझाने लगी हूँ 
जिंदगी जीने का 
नया अंदाज़ सबको 
बताने लगी हूँ। 

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