मेरी माँ मेरा वरदान है अनवरत बिना थके बिना रुके निरंतर ख्याल रखती मेरा टिक-टिक चलती घड़ी के समान है। मेरी माँ परिवार का अभिमान है अन्नपूर्णा का स्वरूप लिए अपने हाथों में जादू लिए बनाती स्वादिष्ट पकवान है। कभी मित्र तो कभी गुरु बनकर हर राह को आसान बनाती हर मर्ज की दवा पिलाती वो मेरे दिल की जान है। खुशनसीब हूँ जो आशीष मिली सद्गुण सद्भाव कर्म प्रेरणा पथ पर चलने की ख्वाहिश मिली ममता की मुरत शक्ति की पहचान है। माँ जब मैं सो नहीं पाती हूँ जीवन कठिन परीक्षा से घबरा जाती हूँ तब तेरे आंचल के ठंडी छांव में पल भर में ही सारे दुखड़े भूल जाती हूँ। माँ दिल से कहूँ तेरा वंदन है कलम लिख नहीं पा रही है तेरा विशाल व्यापक विस्तृत रूप मेरा रोम-रोम करता अभिनन्दन है। माँ इस जीवन में तेरे बड़े एहसान है बुढ़ापे में तेरी लाठी बन जाऊँ हृदयी अभिलाषा इस बेटी की तू इंसान नहीं मेरा भगवान है।
2020-05-10