मेरे कृष्ण

श्याम डगर पर चल कर देखो
खुशियों की भरमार है।
मुड़ कर नहीं देखना पड़ता
जो चलता एक बार है।।

यशोदा तेरा ये नंदलाला
वारी जावे इस पर बृज की हर बाला।
मटकी फोड़ दूध दही माखन खावे
करे गोपियों संग रास लीला।।

बांके बिहारी रणछोड़ छलिया
प्रेमी रसिक बंशीधर कृष्ण कन्हैया।
जिस नाम से भी जो तुझे ध्याये
उसका करता बेड़ा पार है।।

राधा की भक्ति रुक्मणी की शक्ति
मीरा भी हुई कृष्ण दीवानी।
बंशी की मधुर मुरली तान कर
बनी प्रेम की यह पवित्र कहानी।।

हे मोर मुकुट पीताम्बर धारी
तेरी महिमा अति न्यारी।
नज़र न लगे इस मधु की तुम पर 
जाऊँ तुझ पर मैं बलिहारी।।

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