पारलौकिक प्रेम मुझसे प्रेम करना देह से ऊपर मेरे कोमल मन की है कहानी अबीर कुमकुम इंद्रधनुष सी सजी ये रंगत है जा़फरानी। हर सुबह सूरज की लालिमा चूमती मेरे गाल बिखेरती अपनी किरणें रंग देती मुझे भी पीले लाल। ये पत्ते ये शाखें और टहनियां झूम झूम कर प्रेम का इज़हार दिखाते अपनी बाहों को फैलाकर आलिंगन का एहसास दिलाते। छूता शीतल जल जब इस देह को देखो होठों की प्याली सजाता युवा धड़कन की राग बजती दिल के हर तार झूम जाता। साँझ की दुल्हन जब दस्तक देती निखारता पूरा आकाश है प्रेम की कहानी मधु यामिनी प्यासा ज़ग तृप्त मन दिव्यता का प्रकाश है। रात की मधुर चाँदनी टिमटिमाते तारे आगोश में इसके खो जाती हूँ गहरा अंतरिक्ष आँखों में सपने न्यारे जग वासना से ऊपर प्रेम का अमृत बरसाती हूँ। मैं औरत हूँ औरत की कहानी सुनाती हूँ।
2020-06-08