भारत के संविधान पर देश की गरिमा को तार-तार किया
अपनी ओछी हरकतों से तिरंगे की शान को बेज़ार किया
चंद किसानों के वेश में इंसानियत को बड़ा लाचार किया
भारत माता की छाती पर ये कैसा सबने मिल वार किया
लाल किले के प्राचीर से अपने संस्कारों को शर्मसार किया
भाग्यविधाता बेबस हुआ देखकर ये कैसा अत्याचार किया
अपनी मनमानी करतूतों से स्वयं का वज़ूद बहिष्कार किया
26 जनवरी गणतंत्र दिवस जांबाज लहू का तिरस्कार किया
जयचंदों के प्रहार ने माँ के हृदय को छलनी हर बार किया
देश द्रोह का नंगा नाच देख मधु कलम ने साक्षात्कार किया
दुश्मन को न हो माफ़ी देशभक्ति जज़्बे ने वंदन सौ बार किया।