क्या कहूँ अब तुझसे

क्या कहूँ अब तुझसे
मेरे प्रभु ओ सावरें
तुझे ढूंढ़ा करते हर पल
मेरे ये नैन बावरे

जिंदगी के मायने भी तुझसे
जिंदगी की आस भी तुझसे
मेरी हर साँस भी तुझसे
मेरा हर वज़ूद भी तुझसे

अधरों पर मधुरमयी मुस्कान
प्रेम की अनोखी पहचान
करें हर पल तेरा गुणगान
रोम रोम में तेरा ध्यान

मेरा सहारा भी तू है
मेरा विश्वास भी तू है
मेरी शक्ति भी तू है
मेरी भक्ति भी तू है

अंतस को समझाऊं
दिल में ज्योत जगाऊं
प्राणों में घुल जाऊँ
भव सागर से तर जाऊँ

क्या कहूँ अब तुझसे
आँखियां रोती सुबह शाम
निर्मोही है मेरे श्याम
दर्शन दे दो अब तो घनश्याम।


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