वैक्सीन नहीं है तो क्या हुआ रोज न जाने कितने मर रहे हैं संवदेना जता हम चल रहे हैं हौसलों से हल निकल रहे हैं भागदौड़ में भी संभल रहे हैं। दवा नहीं पास तो क्या हुआ दुआ से हर लम्हें संवर रहे हैं मास्क से सब दूरी बना रहे हैं अपने जीवन को बचा रहे हैं वर्क फ्रोम होम में चला रहे हैँ। कई स्वस्थ है तो भी क्या हुआ नमस्ते के संस्कार निभा रहे हैं अपनी संस्कृति समझा रहे हैं सोशल डिसटेन्सिंग करा रहे हैं महामारी से खुद को बचा रहे हैं। कोरोना आया तो क्या हुआ छींकते मुख रुमाल लगा रहे हैं हाथ को सैनिटाइज करा रहे हैं अपनी नियमित जांच करा रहे हैं इम्यून सिस्टम बहुत बढ़ा रहे हैं। सरकार लापरवाह तो क्या हुआ हम सभी प्रयास करते जा रहे हैं अपनी पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं काढ़ा पानी गुनगुना पीते जा रहे हैं अपनेपन से समस्या सुलझा रहे हैं। बड़ा कठिन काल है तो क्या हुआ डॉक्टर अपना फर्ज निभा रहे हैं सफाई कर्मचारी स्वच्छ बना रहे हैं पुलिस हर दिन ड्यूटी पर आ रहे हैं कवि राष्ट्र नव चेतना जगा रहे हैं।
2020-09-25