बच्चों की किलकारी मानो कोई फुलवारी

नन्हें हाथों में होता मखमली स्पर्श का प्यारा एहसास
अनुभूति होती अद्भुत गोद में बच्चे का माँ पर विश्वास
बच्चों की किलकारियों से गूंजता घर का हर कोना आँगन
मानों कोई फुलवारी महकती बगिया में जीवन का प्रांगण
पति पत्नी के प्रेम की नींव से सृजन हो जाता वट वृक्ष
बेलें फूटती फल फूल सजते देख कर मन होता तृप्त
स्नेहिल पुष्पों की माला से खूबसूरत रिश्तों का दर्पण
बच्चों की चहचहाहट हँसी खेल परमात्मा का अर्पण
घर की रौनक अधूरी होती जब होता बच्चों बिना संसार
विकल होता हृदय नहीं रहता परिवार का कोई आधार
आजकल अक्सर घरों में छोटे बच्चें कम दिखाई देते हैं
पहले होते थे दस बारह अब एक या दो की दुहाई देते हैं
बस्ते के बोझ तले छीन लिया बच्चों का हमने बचपन
आकांक्षाओं लक्ष्य पर केन्द्रित कर कैरियर को समर्पण
मोबाइल फोन से ख़त्म कर रहे उनके जीवन का आनंद
किलकारी कम हो रही फूल मुरझा रहे घरों में होकर बंद
बच्चों की किलकारी सृष्टि का उल्लास ईश्वर का आभास
फूल खिले फुलवारी सींचना होगा ध्यान रखना होगा ख़ास।

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