ख़ुद को तराश लीजिये

ख़ुद को तराश लीजिये जिदंगी बेहतर महसूस होने लगेगी
बिखरे मोती को जोड़ लीजिये खूबसूरत माला सजने लगेगी
विसर्जन करो मन विकारों का नव चेतना में जाग्रति आएगी 
चिराग़ जला कर रख लीजिये स्याह रात धुंधली हो जाएगी।

दूसरों की छोड़िए ज़नाब स्वयं को जीने का आनंद आएगा
अहंकार से भरा यह शुष्क जीवन नम्रता से खूब संवर जाएगा
शिक़ायतें कम होगी जीवन से दुनिया पर यक़ीन बढ़ जाएगा
तराश लीजिये एक नया व्यक्तित्व उभर कर सामने आयेगा।

कोयला जो धरा के गर्भ में पला तराश कर हीरा बन गया 
पत्थर जो राह पर घिसते-घिसते हम सबका ईश्वर बन गया़
ग़म का दरिया पूरी तरह सूख कर खुशी का समंदर बन गया
मुश्किलें बहुत आई पर तराशने से जीवन सुंदर बन गया।

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