कतई ऐसा न करें
विवाह का खुबसूरत समारोह, दो दिलों का एकाकीकरण, दो परिवारों का मिलन, पिता के जीवन भर की जमा पूंजी से सजाई गई खुशियों की महफिल किसके लिए? अपने रिश्तेदार, मित्र और अपने पहचान वालों के लिए, जिसमें सभी लोग शामिल होकर आनंद से झूमे, नाचे,गाये, खाये – पिये, मौज मनाए और सहयोगी बनकर उनका साथ दे क्योंकि उनके लिए जिंदगी का वो महत्वपूर्ण पल हैं जो फिर कभी लौट कर नहीं आएगा, बस यही उनकी अभिलाषा होती है। ये बात सर्वविदित है कि आप अगर ख़ुशियाँ देते हैं तो आपको लौट कर वही मिलती है।अक्सर विवाह के समारोह में दूर शहर से आए हुए निकटतम रिश्तेदार विवाह के दो दिन में भी अपना पूर्णतः समय देने में असमर्थ होते हैं, वजह होती है कि फलां से मिलने जाना हैं, मंदिरों के दर्शन लाभ लेने हैं,शाॅपिंग करने जाना हैं या कुछ व्यक्तिगत कार्य को मूर्त रूप देना है, ऐसे में उसकी सजी हुई महफ़िल में आपको कोई विशेष रुचि नहीं होती है और आप अपनी ही दुनिया में व्यस्त हो जाते हो और भूल जाते हो कि उसने यह महफ़िल, साज-सज्जा,खान पान का वैभव आपके लिए बनाया है, ऐसे में जिस उद्देश्य से आप आए हैं, उसे पूर्ण न करना कितना उचित है! विवाह की रस्में पूरी हुई, स्वागत-सत्कार भी पूरा हुआ या नहीं, सब अपने गंतव्य स्थल पर जाकर आराम करने लगते हैं, तो विवाह में शरीक होने की इस औपचारिकता को निभा कर आप किस पर एहसान कर रहे हैं! उनके विशिष्ट विवाह उत्सव के दौरान नहीं अपितु उसके समापन के उपरांत ही व्यक्तिगत समय को निकालना बेहतर अनुभव का आदान-प्रदान बनेगा। उदाहरणार्थ एक फिल्म को बनाने में प्रोड्यूसर और उसकी टीम को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और उसे श्रेष्ठतम बनाने में वह अपना सब कुछ दांव पर लगा देती है और जब दर्शक बनकर आप फिल्म देखने जाते हैं तो प्रोड्यूसर कभी नहीं चाहते हैं कि फिल्म को बीच में छोड़ कर निकल जाओ, ये सम्मान हानि कहलाती है और एक विशेष अनुरोध अगर आपके पास पर्याप्त समय नहीं है तो उस फ़िल्म को आप देखने नहीं जाते हैं उसी तरह विवाह भी एक रिश्तों की फिल्म है,विवाह का आयोजनकर्ता इस फिल्म का निर्माता और निर्देशक, हम सभी दर्शक है,जितनी ख़ुशी और पर्याप्त समय लेकर अंतरात्मा से फ़िल्म का मजा लेंगे, उतना ही मज़ा ज्यादा आएगा, इसलिए कतई विवाह के आनंद को कम न करे।
दूसरा, शिकायत बहुत है तुझसे ए जिन्दगी, कई बार सिर्फ़ शिकायतों से अच्छे ख़ासे खुशनुमा वातावरण को हम कड़वाहट से भर देते हैं, जिससे हमे अवश्य बचना चाहिए। विवाह भी एक बड़ा आयोजन है, जिसमें आयोजक अपने बजट को ध्यान में रखकर योजनाबद्ध तरीके से रूपरेखा तैयार करने का प्रयास करता है,ऐसे में सफ़लता और असफलता दोनों ही सम्भव होती है। चूँकि यह विवाह आधारित फ़िल्म उसने बनाई है, वो इसके प्रोड्यूसर हैं तो आपको कोई भी रोल दिया जा सकता है, हीरो का, प्ले बॉय का या आप मात्र दर्शक भी हो सकते हैं, उसने अपना काम वितरित कर दिया, अब आपको यह भूमिका स्वीकार है या नहीं, इसे आपको अपने मन से सुनिश्चित कर के ही शामिल होना चाहिए, जिससे मन में शिकायतें न रहे क्योंकि….
शिकायते तो सभी को है जनाब पर जो मौज में जीना जानते हैं, वो आगे बढ़कर कभी शिकायतें नहीं करते।
जिंदगी की यात्रा हो या विवाह का समारोह, शिकायतें और अपेक्षाएं जितनी कम होगी उतना ही आनंद ज्यादा मिलेगा।
मधु भूतड़ा
गुलाबी नगरी जयपुर से