कृष्ण जन्माष्टमी

सृष्टि के श्री हरि विष्णु तारणहार
द्वापर युग कृष्ण रूप लियो अवतार
जन्माष्टमी का अद्भुत अपूर्व त्यौहार
आनंद उमंग उल्लास हर घर हर द्वार।

देवकी माता ने जन्म दियो
यशोदा माता बनी पालनहार
लाड प्यार में बितायो बचपन
नटखट बाल रूप मोहक अपार।

कभी माखन चुरा कर दिल लुभायो
कभी राक्षसों को मार गिरायो
धेनु चरायो खूब खेल्यो सखा संग
मचायो गोकुल में बड़ो हुड़दंग। 

बचपन ग्यो जवानी आई 
बाँसुरी धुन मदमस्ती छाई 
प्रीत की मंद मंद बयार बहाई 
राधा गोपियों संग रास रचाई। 

रुक्मणी संग ब्याह रचायो
नारी को जग सम्मान बढ़ायो
गृहस्थी का दायित्व समझायो
पारिवारिक धर्म महत्व सिखायो। 

जीवन संग्राम उठायो कदम 
कर्तव्य बोध अति उत्तम कर्म 
कंस को अत्याचार कियो ख़त्म 
निभायो मानवता को परम धर्म। 

अर्जुन को दिया गीता ज्ञान             
कर्म योग मन साधना महान
सर्वधर्म युक्त समाज निर्माण
कृष्ण कलयुग भागवत पुराण।

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