जर्द जर्द मौसम में तीखी धूप का नज़ारा मोहब्बत हुई मेरी सरे आम़।
जज्ब ए इश्क़ में जुबां हो रही ख़ामोश और आँखों से छलकता ज़ाम।
दिल की ख़्वाहिशों से जुड़े छुपाया ज़माने से उस आ़शिक की पहचान।
मन नहीं बस में पागल बना दिया सीख रही हूँ जीना इश्क़ रब के नाम।
हर साँस में महकता प्यार उसका हर पहर में बैचैन है दिल सुबह शाम।
मोहब्बत मुस्करा रही पलकों तले बेनकाब हो मेरे महबूब के पूरे अरमान।
2020-11-06