एक लम्बी सी काली कार से,
उतरते दो लम्बे पाँव,
गुलाबी जैकेट से खिला तुम्हारा तन,
भीड़ को देख कर,
मुस्कुराती तुम्हारी निगाहें,
स्वच्छ भारत के लिये,
आह्वान करती तुम्हारी अदाएँ,
मैं तुमको निहारती रही,
मन ही मन पुकारती रही,
तुम आये और चले गये,
इज़हार ए ख्वाब अभी काफ़ी है,
वो अधूरी शाम, कई अनकही बातें,
तुम्हारा इंतजार अभी बाकी है।
तुम्हारी मुस्कुराहट, प्यारी खिलखिलाहट,
गज़ब का करते हो तुम कविता पाठ,
मंच से तुम काव्य पढ़ते रहे,
वर्तमान हालातों पर व्यंग्य कसते रहे,
तुम गुदगुदाते रहे,
श्रोतागण मस्ती करते रहे,
मंच पर भाग कर दिया मैंने गुलाब,
थामे रखा हाथों में,फूल आपने ज़नाब,
तुम आये और चले गये,
इज़हार ए ख्वाब अभी काफ़ी है,
वो अधूरी शाम, कई अनकही बातें,
तुम्हारा इंतजार अभी बाकी है।
सज रहा था गुलाबी नगर,
आने की थी तुम्हारी ख़बर,
हेलिकॉप्टर से हुई लैंडिंग,
तुमसे मिलना रहा पेंडिंग,
भीड़ को संबोधित करते भाषण,
खचाखच लोगों से भरा था प्रांगण,
तुम बोलते रहे, मैं सुनती रही,
तुमको देख कर मैं झूमती रही,
मचलता रहा मिलने को मन,
रिश्ते में था अपनापन,
तुम आये और चले गये,
इज़हार ए ख्वाब अभी काफ़ी है,
वो अधूरी शाम,कई अनकही बातें,
तुम्हारा इंतज़ार अभी बाकी है।
Waha
आभार ।
शानदार कविता।
आभार ।
Nice poetry
Dil ko chu gyi
धन्यवाद ।
Nice
आभार ।
इंतजार अभी बाकी है।
जिस कविता में किसी के दिल की भावनाओ का संगम हो उसके प्रति कोई भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नही कर सकता अगर कर सकता है तो केवल वही जिसने इसकी रचना की हो।
बहुत सुंदर कविता , हिन्दू सम्राट परम देश भक्त आजादी की जिसने सही परिभाषा समझी ऐसे व्यक्तित्व को समर्पित कवि की कल्पना को नमन।
गुलाबी नगरी की वह अधूरी शाम मेरी नजरो में
नदी के पास आकर भी प्यासा।
जल है मीठा फिर भी हताशा।।
आई थी ऐसी बाढ़ मन में हुई निराशा।
बहाव का था कुछ ऐसा रह गई मन की आशा।।
एक ऐसा व्यक्तित्व जो सबपर पड़ा भारी
जिसके ना थके पैर न जिसने कभी हिम्मत हारी
जिसका जज्ज़ा है केवल परिवर्तन लाने का
अतः जन जागरण का सफर सतत जारी है
मन सभी के पास होता है
पर मनोबल….
कुछ ही लोगो के पास होता है।
मत कहो कि इंतजार अभी बाकी है।
क्योकि जल्द सुनहरी भोर आने वाली है।।
जय श्री कृष्ण
बहुत खुब।
नमन ।